उत्तराखंड

आधी आबादी को आगामी बजट से बड़ी आशाएं, मांगें शिक्षा और आर्थिक स्वावलंबन 

उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने और प्रदेश के विकास में यहां की महिलाओं की अहम भूमिका रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष रूप से पशुपालन व कृषि महिलाओं के ही भरोसे हैं।

स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उन्होंने स्वरोजगार के क्षेत्र में भी अलख जगाई है। इसीलिए महिलाओं को राज्य के विकास की रीढ़ भी कहा जाता है। गांवों से तेजी से हो रहे पलायन के बीच वे ही पहाड़ को आबाद रखे हुए हैं। इस परिदृश्य के बीच आधी आबादी को सरकार से आगामी बजट से बड़ी आशाएं हैं।

वे चाहती हैं कि महिलाओं को शिक्षित करने के साथ ही उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए जाएं। महिला सुरक्षा का विषय चर्चाओं पर न सिमट कर धरातल पर दिखे। महिला उत्थान को बनी योजनाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही उन्हें धरातल पर उतारना सुनिश्चित किया जाए।

उत्तराखंड में महिलाएं इस समय पुरुषों से किसी लिहाज से कम नहीं हैं। प्रदेश की 70 प्रतिशत महिला साक्षरता दर यह बताने के लिए काफी है कि महिलाएं अब केवल घर की चहारदीवारी से नहीं बंधी हैं। वे बाहर निकल कर पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने में सक्षम है।

ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर तो बढ़ी है, लेकिन यहां अभी भी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है। ग्रामीण महिलाओं को कृषि संपदा, शिक्षा और बाजार की उपलब्धता में समान रूप से भागीदारी करने का अवसर मिले तो वे प्रदेश की आर्थिकी की सूरत बदल सकती हैं।

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