उत्तराखंड

जांच में झील में गिरता पाया गया गंदा पानी,

भागीरथी (गंगा) नदी पर बनी टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स से निकलने वाली गंदगी को लेकर जानकारी के बावजूद तंत्र मेहरबान बना है। फ्लोटिंग हट्स के शौचालयों की गंदगी के निस्तारण के लिए बनाया गया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बंद है।

सीवर निस्तारण के लिए कर्मचारियों के पास कोई उपकरण नहीं है। जांच रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आने के बाद भी झील में पीपीपी मोड में फ्लोटिंग हट्स का संचालन जारी है। इस पूरी जांच रिपोर्ट को दरकिनार कर फ्लोटिंग हट्स को बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी और पर्यटन विभाग के रजिस्ट्रेशन के बगैर संचालित किया जा रहा है।

टिहरी झील में पीपीपी मोड में संचालित फ्लोटिंग हट्स का सात अक्टूबर को एसडीएम अपूर्वा सिंह के नेतृत्व में प्रशासन की टीम ने निरीक्षण किया था। निरीक्षण की जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि फ्लोटिंग हट के कीचन से गंदा पानी ओवरफ्लो होकर झील में गिर रहा है।

हट्स का एसटीपी प्लांट भी बंद है। हट्स के बीस काटेज से लगभग 8500 लीटर सीवर निकलता है। लेकिन, जिस बोट में उसे एसटीपी तक ले जाने की व्यवस्था है वह मात्र दो हजार लीटर की है।

जांच में साफ लिखा गया है कि एसटीपी के निरीक्षण से लगता है कि एसटीपी का संचालन कभी कभार ही किया गया है। पूरी जांच में फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन दोषी पाया गया है।

बावजूद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने दोबारा निरीक्षण किए बगैर ही 18 अक्टूबर को जिला प्रशासन को भेजे पत्र में फ्लोटिंग हट्स को संचालन की अनुमति देने के निर्देश दिए हैं। वहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी 25 दिन बाद भी अभी तक हट्स प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

हमने अपनी रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेज दी है। पर्यटन विकास परिषद से ही अनुमति मिलने के बाद फ्लोटिंग हट्स का संचालन दोबारा शुरू कराया गया है।

फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी के लिए आवेदन किया है। टिहरी झील में पर्यटन विकास को देखते हुए उसे संचालन की अनुमति दी गई है।

अभी फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन को एनओसी नहीं दी गई है। उसका निरीक्षण करने के बाद ही एनओसी मिल पाएगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button