उत्तराखंड

प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े में नौ सेंटरों पर कार्रवाई के आदेश उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त को भेजा कार्रवाई के लिए पत्र

उत्तराखंड में चल रहे प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र फर्जीवाड़े में कार्रवाई शुरू हो गई. प्रदेश के सभी आरटीओ को जांच केंद्रों की जांच शुरू करने के आदेश दिए गए हैं.साथ ही अब तक फर्जी तरीके से सर्टिफिकेट बना रहे सात से ज्यादा सेंटसें रों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए गए. प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र के फर्जीवाड़े का आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने खुलासा किया था.संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया देहरादून में बालाजी पर्यावरण समिति, चौहान पोल्यूशन चेक प्वाइंट, शिवालिक पोल्यूशन सेंटसें , मेहर सिंह पोल्यूशन टेस्टिंग सेंटसें,बालाजी पर्यावरण समिति के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. इसके साथ ही जांच केंद्र का लाइसेंससें होने के बावजूद मौके पर न मिले शाही ऑटोमोबाइल और उमेश प्रदूषण जांच केंद्र के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.

इसी प्रकार हल्दवानी आरटीओ रीजन में भी दो केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. सभी आरटीओ को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि वो प्रदूषण जांच केंद्रों की नियमित रूप से जांच करेंगे. राज्य में प्रदूषण जांच केंद्रों की संख्या 300 से ज्यादा है. फर्जीवाड़ा करने वाले सभी सेंटसें र के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए गए हैं. इसमें प्रथम चरण में नोटिस देते हए उनका लाइसेंससें निलंबित किया जाएगा. आगे कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. भविष्य में इस प्रकार के फर्जीवाड़े पर रोक के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.

उत्तराखंड में फर्जी प्रमाणपत्र का फर्जीवाड़े के तार यूपी के बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर आदि कुछ जिलों से जुड़े हैं. उत्तराखंड ने देहरादून, हल्द्वानी में सामने आए मामलों की रिपेा र्ट यूपी के परिवहन आयुक्त को भेजते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया है. सूत्रों के अनुसार कुछ केंद्रों से हजारों की संख्या में प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं. इससे राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा
है.लोकेशन और जांच केंद्र का नाम दर्ज होगा
देहरादून. फर्जीवाड़े को रोकने के लिए परिवहन विभाग सिस्टम को तकनीकी सुरक्षा कवच भी पहनाने जा रहा है. एनआईसी से जांच सिस्टम में कुछ नए सुरक्षा मानक जोड़ने को अनुरोध किया गया है. इसके तहत जांच केंद्र से जारी होने वाले प्रमाणपत्र पर जांच केंद्र का नाम,उसकी लोकेशन का विवरण भी शामिल कराने की सिफारिश की है. साथ ही जांच सेंसे सें टिव कैमरों
और रियल टाइम फोटोग्राफी कराने और हर प्रदूषण जांच की जियो फेंसिंग कराते हुए उसका दायरा 200 मीटर तक सीमित करने को कहा है.

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