उत्तराखंड के Rajaji Tiger Reserve से निकला बाघ हरियाणा में फरमा रहा आराम,
उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व से निकला बाघ सात माह में हिमाचल से होते हुए हरियाणा पहुंच गया। बाघ का यह मूवमेंट राजाजी रिजर्व के बाधित चल रहे चीला-मोतीचूर गलियारे के निर्बाध होने के कारण आसान हो
उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिजर्व से निकला बाघ सात माह में हिमाचल से होते हुए हरियाणा पहुंच गया। बाघ का यह मूवमेंट राजाजी रिजर्व के बाधित चल रहे चीला-मोतीचूर गलियारे के निर्बाध होने के कारण आसान हो
यह मूवमेंट राजाजी रिजर्व के बाधित चल रहे चीला-मोतीचूर गलियारे के निर्बाध होने के कारण आसान हो पाया। इसके साथ ही यह गलियारा जीवंत हो चला है। इसे देखते हुए अब बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही और अधिक सुगम बनाने के दृष्टिगत इस गलियारे से सटे सेना के डिपो को अन्यत्र शिफ्ट करने के साथ ही अन्य कदम उठाने को कसरत चल रही है।
यह मूवमेंट राजाजी रिजर्व के बाधित चल रहे चीला-मोतीचूर गलियारे के निर्बाध होने के कारण आसान हो पाया। इसके साथ ही यह गलियारा जीवंत हो चला है। इसे देखते हुए अब बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही और अधिक सुगम बनाने के दृष्टिगत इस गलियारे से सटे सेना के डिपो को अन्यत्र शिफ्ट करने के साथ ही अन्य कदम उठाने को कसरत चल रही है।
रिजर्व के पूर्वी हिस्से वाले चीला क्षेत्र में बाघों की अच्छी-खासी संख्या है, जबकि पश्चिमी हिस्से के मोतीचूर, धौलखंड क्षेत्र इस लिहाज से सूने हैं। चीला-मोतीचूर गलियारा खुलने पर बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों की आवाजाही चीला से मोतीचूर क्षेत्र में होने लगी। जीवंत हुए इसी गलियारे से होकर गत वर्ष अक्टूबर में एक बाघ मोतीचूर की तरफ आया। इस वर्ष जनवरी में राजाजी से 120 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश में बाघ की मौजूदगी का प्रमाण मिलने पर रिजर्व प्रशासन के कान खड़े हो गए। पड़ताल हुई तो पता चला कि यह तो राजाजी का वही बाघ है, जो चीला-मोतीचूर गलियारे से निकला था।
टाइगर रिजर्व के निदेशक डा साकेत बडोला के अनुसार बाघ पर निरंतर नजर रखी जा रही है। मार्च में यह हरियाणा के कलेसर नेशनल पार्क में पहुंच गया। वहां 110 साल बाद बाघ की मौजूदगी मिली। वर्तमान में यह कलेसर में ही है और राजाजी टाइगर रिजर्व और कलेसर नेशनल पार्क उस पर नजर रखे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ समय बाद यह बाघ वापस राजाजी में अपने आशियाने में लौट जाएगा।