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उत्तराखंड

दिवाली जल्दी होने पर प्रदूषण भी कम, इस बार दीप पर्व की सुबह हवा 5 साल में सबसे साफ

उम्मीद के विपरीत इस बार दिवाली की अगली सुबह प्रदूषण के लिहाज से ज्यादा परेशान करने वाली नहीं थी। इस बार हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक (Severe) नहीं हुआ। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार दिवाली के अगले दिन प्रदूषण स्तर पांच साल में सबसे कम है। इस बार लोगों ने 30% कम पटाखे जलाए। हाल ही महानगरों में किए गए एक अध्ययन में भी पता चला कि दिवाली के दौरान होने वाले प्रदूषण के लिए पटाखे मुख्य कारक नहीं हैं, बल्कि दिल्ली का मौसम अहम कारण है। तापमान में गिरावट, धीमी हवा, बायोमास बर्निंग, निर्माण कार्य, इंडस्ट्री आदि भी प्रदूषण बढ़ाते हैं। एक रोचक बात यह है कि दिवाली जल्दी आने पर प्रदूषण भी कम होता है।

इस बार बेहतर ‘एयर क्वालिटी’ के और भी कारण हैं। गोपाल राय के अनुसार पंजाब में पराली जलाने की घटना भी पिछले साल के 3032 की तुलना में इस साल सिर्फ 1019 रही। दिल्ली की हवा में प्रदूषण स्तर पर नजर रखने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था सफर के मुताबिक हवा की गति 8 से 16 किलोमीटर प्रति घंटा रही। 26 और 27 अक्टूबर को एयर क्वालिटी में और सुधार की उम्मीद है।

डा. आभ्रा चंदा (पुरष कानपुर हरिदास नंदी महाविद्यालय), जयत्रा मंडल (स्कूल ऑफ ओशियानोग्राफिक स्टडीज, जाधवपुर यूनिवर्सिटी) और सौरव सामंत ने ‘एयर पॉल्यूशन इन थ्री मेगासिटीज ऑफ इंडिया ड्यूरिंग द दिवाली फेस्टिवल एमिस्ट कोविड-19 पेंडेमिक’ नाम से एक स्टडी रिपोर्ट तैयार की है। इसमें दिवाली के दौरान दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में सात प्रदूषकों (पीएम 2.5, पीएम 10, NO2, NH3, SO2, CO और O3) का अध्ययन किया गया। स्टडी में 2019 में कोरोना आपदा से पहले की दिवाली और 2020 में कोरोना आपदा के बाद की दिवाली का अध्ययन किया गया।

आंकड़ों से पता चलता है कि दिवाली जितनी देर से आती है उतना ही प्रदूषण बढ़ने की संभावना होती है, क्योंकि बाद में मौसम में बदलाव के चलते तापमान में गिरावट आती है और हवा धीमी हो जाती है। दिल्ली में 2020 में दिवाली के बाद सबसे अधिक प्रदूषण था, लेकिन मुंबई और कोलकाता में प्रदूषण स्तर में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ। दिल्ली में मौसम में आए बदलाव ने वायु प्रदूषण की स्थिति को और खराब कर दिया था। यहां पीएम 2.5, पीएम 10, NO2, NH3, SO2, CO और O3 का कंसंट्रेशन 2020 में अधिक था। रिपोर्ट में सबसे प्रमुख बात यह देखने में आई कि 2019 के मुकाबले 2020 में प्रदूषक तत्वों के स्तर में अधिक उछाल आया था। डा. आभ्रा चंदा ने कहा कि कोरोना आपदा के साल और 2019 में दिवाली के दौरान प्रदूषण के आंकड़ों में बड़ा फर्क नहीं देखने को मिला।

 

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