पुरुषों-महिलाओं को अलग तरीके से प्रभावित करती है हृदय की बीमारी
हृदय रोगों का खतरा अब उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या तक सीमित नहीं रहा है। 30 से कम आयु के लोगों में भी इस रोग का जोखिम बढ़ता जा रहा है, इतना ही नहीं कुछ हालिया रिपोर्ट्स में स्कूली बच्चों में भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के कारण मौत के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण लगभग सभी उम्र के लोगों में हृदय से संबंधित रोगों के मामले देखे जा रहे हैं, जिसका मतलब है कि कम उम्र से ही रोग से बचाव के लिए उपाय करते रहना अब बहुत आवश्यक हो गया है।
दुनियाभर में बढ़ते हृदय रोग के जोखिमों को लेकर लेकर को सचेत करने और इससे बचाव के लिए जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।डॉक्टर्स कहते हैं, पुरुषों-महिलाओं में हृदय रोग की स्थिति अलग-अलग हो सकती है, कई लक्षणों में भी भिन्नता देखी जाती रही है।
आइए जानते हैं कि पुरुष-महिला में हृदय रोगों के लक्षण किस प्रकार से अलग-अलग हो सकते हैं, कैसे इनकी पहचान की जा सकती है?
कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में अंतर
ब्रीघम एंड वूमेन्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञ कहते हैं, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने और इसके कारण होने वाली जटिलताओं की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, पर पुरुषों-महिलाओं में इसका बिल्डअप अलग-अलग तरीके से देखा गया है। पुरुषों में आमतौर पर हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी धमनियों में यह प्लाक जमा होता है जबकि महिलाओं में हृदय की सबसे छोटी रक्त वाहिकाओं, जिन्हें माइक्रोवैस्कुलचर कहा जाता है, उनमें इसके विकसित होने की अधिक आशंका होती है।
हार्ट अटैक के लक्षण भी हो सकते हैं अलग
पुरुषों और महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने के लक्षणों भी अंतर देखा जाता रहा है। पुरुष आमतौर पर छाती में दबाव की शिकायत अधिक करते हैं, जबकि महिलाओं में ये लक्षण कम देखा जाता रहा है। इसके अतिरिक्त महिलाओं को जी मिचलाने, पसीना आने, उल्टी होने, गर्दन, जबड़े, गले, पेट या पीठ में दर्द की समस्या हार्ट अटैक के दौरान अधिक होती रहती है। इस तरह के अंतर पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
हृदय रोग के जोखिम हो सकते हैं भिन्न
महिला का प्रजनन इतिहास उनमें हृदय रोग के खतरे को प्रभावित कर सकता है। वास्तव में, गर्भावस्था के दौरान विकसित होने वाली कुछ बीमारियां, जैसे प्रीक्लेम्पसिया और गर्भकालीन मधुमेह, भविष्य में आपमें हृदय रोग के खतरे का कारक हो सकती हैं। ब्रिघम हेल्थ के जांचकर्ताओं के 2016 के एक अध्ययन से पता चला है कि एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित 40 वर्ष या उससे कम उम्र की महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने, सीने में दर्द होने या अवरुद्ध धमनियों की आशंका अधिक देखी जाती रही है।