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उत्तराखंड

महापर्व आज से, दो साल के बाद दिख रहा उल्लास,

 पूर्वांचल के नागरिकों का प्रमुख चार दिवसीय छठ पर्व शुक्रवार आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा। इसके लिए अधिकांश घाटों की सफाई करने के साथ ही प्रकाश की व्यवस्था की गई है।

  • आचार्य डा. सुशात राज के अनुसार, मान्यताओं के अनुसार छठी मइया भगवान सूर्य की बहन है।
  • इस पर्व में दोनों की पूजा की जाती है।
  • छठ का व्रत कठिन माना जाता है।
  • मान्यता है कि सूर्य उपासना करने से छठी मइया प्रसन्न होती है और पुत्र, दीर्घायु, परिवार को सुख शांति और धन-धान्य से परिपूर्ण करती है।
  • उन्होंने बताया कि पर्व के दूसरा यानी खरना वाले दिन रात में खीर खाकर 36 घंटे के लिए कठिन व्रत रखा जाता है।
  • संतान प्राप्ति और खुशहाल जीवन की कामना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है।
  • बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस पूजा का काफी महत्व है।
  • देहरादून की बात करें तो यहां बिहार के लोग इस पर्व को खासा उत्साह के साथ मनाते हैं।
  • कोरोनाकाल के बाद इस बार छठ पर्व को खुलकर मनाने को लेकर नागरिकों में खूब उत्साह नजर आ रहा है।
  • सहारनपुर चौक, हनुमान चौक में महिलाओं ने बांस का सूप, डाला, दउरा, गन्ना, नारियल आदि की खरीदारी की।
  • इसके अलावा प्रसाद के लिए दाल, लौकी, कद्दू की भी खूब खरीदारी हुई।
  • आज भी बाजार में पूजा सामग्री के लिए भीड़ रहेगी।

सब्जियों में गुरुवार को सामान्य दिनों के मुकाबले लौकी की मांग खूब रही। दरअसल, नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी, अरहर की दाल व कच्चा चावल का भात व्रती भोजन में ग्रहण करते हैं। देर शाम तक लालपुल, मोती बाजार सब्जी मंडी, धर्मपुर, प्रेमनगर आदि मंडियों में देर शाम तक लोग सब्जी के लिए लौकी की खरीदारी करते नजर आए।

पर्व को लेकर पूर्वा सांस्कृतिक मंच के पदाधिकारियों और कार्यकर्त्ताओं ने हरबंशवाला, चंद्रबनी, रायपुर, केशरवाला, मालदेवता, गुल्लरघाटी, गढ़ी कैंट, काठबंगला समेत सभी 18 घाटों में दिनभर साफ-सफाई की। कूड़ा साफ करने के अलावा घाटों पर मिट्टी के ढेर को समतल किया, नालियों की सफाई की। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि सभी घाटों में साफ-सफाई का कार्य पूरा हो चुका है।

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