विधानसभा की भर्तियों में खेल, सीधे प्रार्थना पत्र पर किए नियुक्ति के आदेश

उत्तराखंड विधानसभा में अपनों को रेवड़ियों की तरह नियुक्तियां बांटी गई। नियुक्ति पाने वालों के प्रार्थना पत्र पर ही आदेश कर दिए गए। उत्तराखंड विधानसभा में भर्ती के लिए बनी नियमावली उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय सेवा (भर्ती तथा सेवा की शर्तें) नियमावली 2011 को दरकिनार कर नियुक्तियां की गई। भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि इस नियमावली में 2015 और 2016 में संशोधन भी हुआ, जिसमें कहीं नहीं लिखा है कि अध्यक्ष का विशेषाधिकार है कि वे जितनी और जैसे चाहे वैसी भर्तियां करें।
भाकपा माले के गढ़वाल सचिव ने कहा कि वर्तमान सरकार में एक कैबिनेट मंत्री पर सवाल उठ रहे हैं कि उनके कार्यकाल में विधान सभा में 129 नियुक्तियां की गई। इसमें से कुछ विधान सभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले की गई। वहीं, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में आचार संहिता से पहले गुपचुप तरीके से 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई। इसके लिए उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (उपनल) के जरिये नियुक्त आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से 16 दिसंबर 2016 को इस्तीफा लेकर उन्हें तदर्थ नियुक्ति दी गई। इसमें उपनल कर्मियों की संख्या 131 और तदर्थ नियुक्ति पाने वालों की संख्या 158 थी।
मैखुरी ने कहा कि जब पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में विधान सभा में हुई नियुक्तियों पर सवाल उठा तो भाजपा के एक कैबिनेट मंत्री ने तर्क दिया कि नियुक्तियां करना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है। अध्यक्ष यदि जरूरत महसूस करें तो वे नियुक्ति कर सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार क्या किसी नियम कायदे से संचालित नहीं होता जो सबसे परे है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति को बिना विज्ञप्ति, बिना साक्षात्कार या परीक्षा के जायज या वैध नहीं ठहराया जा सकता है कि वह अस्थायी है।