10 माह की जबरन एकमुश्त कटौती पेंशन दासी को तत्काल वापस किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री,ज्ञापन
-राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण उत्तराखंड द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 15 दिसम्बर 21 के विरुद्ध, राज्य स्वास्थ्य योजना में शामिल होने से असहमत विकल्पधारी तथा योजना में असहमति का विकल्प ना देने वाले हजारों मौन पेंशनर्स की अक्टूबर 22 की मासिक पेंशन से विगत 10 माह की जबरन एकमुश्त कटौती की राशि को तत्काल वापस किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री,मुख्यसचिव प्राधिकरण को ज्ञापन भेजे गये है।इनमे बताया गया है की न्यायालय के आदेश के बाद पेंशनर्स की पेंशन से कटौती बंद कर दी गई थी। पुनः प्राधिकरण की विज्ञप्ति के द्वारा संचित किया गया कि योजना से असहमत पेंशनर्स द्वारा अपनी असहमति का विकल्प पत्र 25 सितंबर 22 तक प्रस्तुत नहीं करने पर* यह मानते हुए कि वे योजना में रहना चाहते हैं, उन्हें योजना में शामिल मानते हुए 1 जनवरी 2021 से अंशदान की कटौती की जाएगी।
सेवानिवृत्त पेंशनर सुशील त्यागी द्वारा लिखे पत्र मे कहा गया की विज्ञप्ति में प्रकाशित बाध्यकारी, मनमाना आदेश, अनैतिक, अन्याय पूर्ण, विधि विरुद्ध, उत्पीड़नात्मक, आर्थिक शोषण का प्रतीक था।बताया गया की राज्य के पेंशनर्स/पारिवारिक पेंशनर्स पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों तथा राज्य से बाहर भी रहते हैं। तथा कुछ अत्याधिक वृद्धावस्था असहाय होने तथा सूचनाओं के अभाव में अपना असहमति का विकल्प पत्रविकल्प प्रस्तुति करने में असफल रहे। वृद्ध अशक्त पेंशनर्स इनकी विधवा पत्नियों को विकल्प भरने की बाध्यता के कारण कोषागारो में बुलाया जाना उत्पीड़न था। अपनी असहमति का विकल्प ना भरने वाले मौन पेंशनर्स का बिना सहमति के यह मानकर कि इन पेंशनर्स की सहमति है*इनकी पेंशन से एकमुश्त कटौती की गयी। बताया गया है की भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3)पर180वां प्रतिवेदन और अधिकार…मौन रहने का अधिकार, सहमति का प्रतीक नहीं है। प्राधिकरण/कोषागार द्वारा पेंशनर्स के मौन(Silent) रहने पर, उनके विरुद्ध प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाना विधि विरुद्ध था।क्योकि पेंशनर्स की पेंशन संविधान के अनुच्छेद 300 A के तहत संरक्षित संपत्ति है,किसी भी कार्यकारी/ प्रशासनिक आदेश द्वारा(बिना पेंशनर्स की लिखित सहमति के)इसमें कटौती नहीं की जा सकती है।पेंशनर्स से की गई कटौती, माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के आदेशों की भी स्पष्ट अवमानना है।मांग की गयी है की योजना से असहमत तथा असहमति का विकल्प ना भरने वाले मौनधारी पेंशनर्स से की गई एकमुश्त कटौती,दिपावली से पूर्व वापस की जाय। प्रेषक सुशील कुमार त्यागी राज्य पैंशनर,सचिव संयुक्तनागरिकसंगठन, 34 फेज 1,टीएचडीसी कालोनी,देहरादून।9897287147