उत्तराखंडधर्मसंस्कृति

 आज देश भर में दीपावली का उल्‍लास, जानें शुभ मुहूर्त, टाइमिंग व पूजन विधि

 दीपावली आज उल्लास के साथ देश भर में मनाई जा रही है। रंग विरंगी लाइट व फूलों से घर, मंदिर और प्रतिष्ठान खूब सज रहे हैं। आज लोग गणेश व लक्ष्मी की पूजा कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना करेंगे।

आचार्य डा. सुशांत राज के अनुसार धार्मिक मान्यतानुसार दीपावली के पर्व पर मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पधारकर धन धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती है। वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार दीपावली के दिन भगवान श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या को दीयों की रोशनी से सजा दिया था।

  • आचार्य डा. सुशांत राज के अनुसार पूजा का शुभ मूहुर्त शाम छह बजकर 53 मिनट से रात आठ बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
  • सोमवार शाम पांच बजकर 28 मिनट से मंगलवार शाम चार बजकर 19 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी।
  • मंगलवार को शाम में यानी प्रदोषकाल लगने से पहले ही अमावस्या समाप्त हो रही है ऐसे में दीपावली सोमवार को मनाई जा रही है।
  • लक्ष्मी पूजन का मूहुर्त शाम छह बजकर 53 मिनट से रात आठ बजकर 16 मिनट तक रहेगा।
  • लक्ष्मी व गणेश प्रतिमा के सामने कलश लेकर तिलक लगाकर पूजा शुरू करें।
  • हाथों में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश का ध्यान करें और चढ़ा दें।
  • अब दोनों प्रतिमा को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी व गंगाजल का मिश्रण में स्नान कराएं।
  • इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर रखें।
  • प्रतिमाओं को तिलक लगाएं और बताशे, मिष्ठान, आभूषण, धन रखें।
  • परिवार के सभी सदस्य मिलकर गणेश व लक्ष्मी की कथा सुने और आरती उतारें।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में को सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों व उनके स्वजन संग दीपावली पर्व मनाया। गढ़ी कैंट में आठ गढ़वाल राइफल्स की ओर से आयोजित दीपावली मिलन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सैनिको और उनके स्वजन से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनकी कुशलक्षेम पूछी और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने सैनिकों की ओर से लगाए गए विभिन्न स्टाल का भी निरीक्षण किया और उनका उत्साहवर्धन किया। आठ गढ़वाल राइफल्स की ओर से विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आठ गढ़वाल राइफल्स के सैनिक,भूतपूर्व सैनिक और उनके स्वजन उपस्थित थे।

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