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उत्तराखंड

 बलिदानी आनंद की पत्नी और बेटे गांव पहुंचे, देखते ही चीख पड़ी बूढ़ी मां, रो-रोकर हुआ बुरा हाल

कांडा गांव के स्व. प्रेम सिंह रावत व मोली देवी की चार संतानों में दूसरे नंबर के आनंद सिंह रावत वर्ष 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। 22 गढ़वाल राइफल में नायब सूबेदार के पद पर वह इन दिनों कठुवा में तैनात थे।

जखोली विकासखंड के कांडा-भरदार गांव निवासी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत (41) जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में हुए आतंकी हमले में बलिदान हो गए हैं। गांव में बूढ़ी मां का बेटे के बलिदान होने की खबर से रो-रोकर बुरा हाल है। देहरादून से आनंद की पत्नी और उनके दोनों बेटों के गांव पहुंचते ही वह उनसे लिपट कर फूट-फूटकर रोने लगीं।

कांडा गांव के स्व. प्रेम सिंह रावत व मोली देवी की चार संतानों में दूसरे नंबर के आनंद सिंह रावत वर्ष 2001 में सेना में भर्ती हुए थे। 22 गढ़वाल राइफल में नायब सूबेदार के पद पर वह इन दिनों कठुवा में तैनात थे। आनंद के बलिदान होने की खबर सुनने के बाद उनकी पत्नी विजया देवी और बेटे मनीष व अंशुल का रो-रोकर बुरा हाल है। बलिदानी की पत्नी कई बार रोते हुए बेहोश हो चुकी हैं। मंगलवार को ही आनंद के बड़े भाई कुंदन सिंह बच्चों को देहरादून से गांव लेकर आए हैं। कांडा गांव में मातम पसरा हुआ है।

रुद्रप्रयाग विस के विधायक भरत सिंह चौधरी, जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, ब्लॉक प्रमुख प्रदीप थपलियाल, ज्येष्ठ प्रमुख कविंद्र सिंधवाल, सीडीओ डॉ. जीएस खाती, एडीएम एसएस राणा, एसडीएम भगत सिंह फोनिया ने इस घटना पर दुख जताया है।

बलिदानी नायब सूबेदार आनंद सिंह रावत इस वर्ष फरवरी में छुट्टी पर देहरादून आए थे। इसके बाद वह अपने परिवार के साथ कुछ दिन के लिए गांव भी पहुंचे थे। तब, उन्होंने घर-घर पहुंचकर सभी लोगों से मुलाकात की उनकी कुशलक्षेम पूछी थी। यही नहीं, स्कूली बच्चों से बातचीत करते हुए उन्हें पढ़ाई व कॅरिअर के प्रति गंभीर होने की सलाह भी दी थी।


तिलवाड़ा। बलिदानी की मां अपने बेटे की बीते दिनों की बातों के साथ ही समय-समय पर फोन पर होती बातों को याद कर रही हैं। कुंदन सिंह ने बताया कि उनकी अपने भाई से सप्ताह में दो-तीन बार बातचीत हो जाती थी और देहरादून में भी बच्चों से निरंतर बात होती थी। सोमवार रात 8 बजे उन्हें आनंद के बलिदान की खबर मिली। बताया, कि कुछ वर्ष पूर्व ही आनंद से अपने परिवार को देहरादून में शिफ्ट किया था। लेकिन वह जब भी वह छुट्टी आता था, गांव जरूर आता था।

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