आयुर्वेद की नई संहिता लिखने का काम हुआ शुरू, पढ़ सकेंगे आसानी से लोग, इनके बारे में होगा उल्लेख
आयुर्वेद की नई संहिता लिखने का काम शुरू हो गया है। नेशनल कमीशन फार इंडियन सिस्टम आफ मेडिसिन ने इसके लिए प्रयास शुरू किया है।
आयुर्वेद में नई संहिता लिखने का प्रयास शुरू हुआ है। इसमें वर्तमान दौर में नई बीमारियों से लेकर आहार में शामिल हुए नए व्यंजन और उनके गुण- दोष का उल्लेख होगा। इसके अलावा नई संहिता को अधिक सरल भाषा में लिखा जाएगा। साथ ही प्रयास किया जाएगा कि नई तकनीक का इस्तेमाल कर व्यवस्था बनाई जाए, जिससे अधिक से अधिक लोग स्थानीय भाषा में संहिता को पढ़ सकें।
नई संहिता को तैयार करने का काम नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएसएम) के अध्यक्ष डॉ. जयंत देवपुजारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी को सौंपा गया है। इस कमेटी के कई सदस्य विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।
एनसीआईएसएम और कमेटी के सदस्य राममनोहर ने बताया कि पुराना ग्रंथ का सार भूत सिद्धांत को लेते हुए संहिता को तैयार किया जाएगा। इस संहिता में दो भाग हैं, इसमें उक्त और अनुक्त भाग हैं। इसमें उक्त भाग वह है, जो पुराने समय से है, जबकि अनुक्त वह है, जो नया ज्ञान आ रहा है। इसमें नई बीमारियां, नई मेडिसिन आदि हैं। नया तकनीक का दौर है, इसके हिसाब नया संहिता तैयार करने की जरूरत है।
आहार वर्ग में वर्गीकरण होता है, उसमें द्रव्य और ठोस आदि स्वरूप में वर्गीकरण करने के साथ गुणों को लिखा गया है। नया भोजन आया है, यह पश्चिम देशों से ही आया है। आयुर्वेद की दृष्टि से उनके गुण- दोष को संहिता में शामिल किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार नई संहिता बरकरार रहेगी। इसके आधार पर ही नई संहिता को तैयार किया जाएगा।
पांच साल में नई संहिता का पहला संस्करण आएगा
कमेटी के सदस्य राममनोहर ने बताया कि संहिता में सभी बीमारियों को शामिल करना होगा। इस काम में आयुर्वेद के क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों की सहायता भी ली जाएगी। नई संहिता का पहला संस्करण तीन से पांच साल में तैयार होकर आने की संभावना है। नई संहिता मूल रूप से संस्कृत में होगी। क्योंकि आयुर्वेद वैश्विक हो रहा है, उसका अंग्रेजी में अनुवाद हो। टेक्नालॉजी का इस्तेमाल कर इलेक्ट्रॉनिक संहिता बना सकते हैं। इससे बहुभाषीय हो सकेगा और अधिक लोग इसे पढ़ सकेंगे।