आइस रिंक में बर्फ जमाने यूएसए से पहुंचे विशेषज्ञ 13 साल से है बंद पड़ा अब होगा गुलजार

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में 13 साल से बंद पड़े आइस स्केटिंग रिंक फिर गुलजार होगा। रिंक की मैन्युअल टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। रिंक के नीचे तीन कंप्रेसर लगे हैं, जो बर्फ की परत जमाएंगे।
महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में 13 साल से बंद पड़े आइस स्केटिंग रिंक में फिर से बर्फ जमाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) से दो इंजीनियर और एक एनआरआई विशेषज्ञ देहरादून पहुंच गए हैं।इनमें कनाडा के वेंकटेशन थंगराज एनआरआई हैं, जो पिछले 17 सालों से यूएसए में आइस स्केटिंग खेल रहे हैं।
रिंक को फिर से शुरू करने में उनकी भूमिका अहम बताई जा रही है। उन्होंने ही कंपनी के दो पूर्व इंजीनियरों को खोजा और स्पोर्ट्स कॉलेज से जोड़ा। इनमें से एक इंजीनियर 25 वर्षों से आइस रिंक की मशीनरी पर काम कर रहे हैं, जबकि दूसरे आईटी विशेषज्ञ हैं और रिंक से संबंधित उपकरणों का काम देखते हैं।
रिंक की मैन्युअल टेस्टिंग पूरी
ये दोनों इंजीनियर पहले वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्पोर्ट्स कॉलेज की मशीनरी को ठीक कराने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे और अब अंतिम रूप देने के लिए स्वयं देहरादून आ गए हैं। इससे पहले संबंधित कंपनी की मदद से मशीनरी की ठप पड़ी मोटरों को ठीक किया जा चुका है।
अब लगभग एक सप्ताह का काम और शेष है। रिंक की मैन्युअल टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। रिंक के नीचे तीन कंप्रेसर लगे हैं, जो बर्फ की परत जमाएंगे। इनमें से दो कार्यरत रहेंगे, जबकि एक स्टैंडबाई पर रहेगा। देहरादून पहुंचे इंजीनियरों में कनाडा के आर्थर गिलवर्ट सुदरलैंड और चार्ल्स रिजर्ड ओवन शामिल हैं।
यूएसए से आइस रिंक के अनुभवी एनआरआई खिलाड़ी और दो इंजीनियरों के पहुंचने से आइस रिंक का कार्य और तेजी से होगा। उम्मीद है कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक आइस रिंक को शुरू कर दिया जाएगा।