Home Tuition in Dehradun
उत्तराखंड

बादल फटा तो हिलने लगा घर पत्थरों की गड़गड़ाहट ने उड़ाई नींद’, आपबीती बताते हुए रोने लगे

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात बादल आफत बनकर बरसे। विभिन्न स्थानों पर नदी में बहने और मलबे में दबने से 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि 13 से अधिक लोग लापता हैं।देहरादून में सहस्रधारा से पांच किमी ऊपर की ओर स्थित मजाडा गांव में बादल फटा तो लोगों के घर हिलने लगे। नींद खुली तो बाहर चीख-पुकार मची थी। सीटियां बजाकर और टॉर्च जलाकर लोग एक-दूसरे को सुरक्षित स्थान पर एकत्रित करने के लिए आह्वान कर रहे थे। जमाडा गांव के दीपू और जामा ने यह आपबीती सुनाई। 

दोनों परिवार के साथ सुरक्षित स्थान की तलाश में निकल चुके हैं। चेहरे पर तबाही का डर और कई किमी पैदल चलने की थकान समेटे दीपू और जामा का हाल-चाल पूछा तो वे रोने लगे। कहा कि सब बर्बाद हो गया।रात करीब एक बजे जब पहली बार बादल फटा तो बाहर लोगों की चीख-पुकार मची थी। थोड़ी देर बाद बाहर का माहौल शांत हुआ तो लगा तबाही टल गई लेकिन तड़के करीब चार बजे फिर से घर की जड़ें हिलने लगीं। तब लोगों को लगा कि अब कुछ नहीं बचेगा। इसके बाद वे घरों से बाहर निकल गए। लोगों को सीटियां और टॉर्च जलाकर गांव में एक जगह एकत्रित किया गया। जामा ने बताया कि वे करीब साढ़े चार बजे परिवार के दो बच्चों समेत कुल पांच लोग घर से निकल गए थे। 15 मिनट बाद ही उनका घर पानी में बह गया। उन्होंने कहा कि अगर घर से बाहर न निकलते तो सभी दब जाते। गांव में इससे पहले ऐसा मंजर कभी भी देखने को नहीं मिला था।मजाडा से आए लोगों ने बताया कि उनके कई पड़ोसियों के मलबे में दबे होने की आशंका है। दशकों से वे एक साथ रह रहे हैं लेकिन आज आपदा ने ऐसी तबाही मचाई की एक-दूसरे के साथ खड़े नहीं हो पाए। जिसको जहां जगह मिली वहां भाग गया।
आम दिनों की तरह ही गांव के सभी लोग रात का भोजन कर जल्द ही सोने की तैयारी कर रहे थे। शाम से हो रही बारिश चिंता तो बढ़ा रही थी, लेकिन पता नहीं था मंजर इतना बुरा होगा। बस फिर हम यह सोचकर ही सो गए कि बारिश रुक जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रात करीब 11 बजे हुई मूसलाधार बारिश से सौंग नदो का जलस्तर बढ़ गया।इसके बाद तो नदी में आए पत्थरों की गड़गड़ाहट ने ग्रामीणों की नींद ही उड़ा दी और पूरी रात बेचैनी में कटी। बस फिर क्या था हम लोगों ने एक-दूसरे से संपर्क कर सुरक्षित स्थानों पर जाने की तैयारी की। यह बातें मंगलवार को बीती सोमवार की रात की आपबीती सुनाते हुए मालदेवता निवासी रितेश चमोली और राहुल रावत ने कहीं। मंगलवार को टपकेश्वर मंदिर में तमसा नदी के विकराल रूप के बाद तबाही का मंजर ऐसा था कि हर कोई हैरान था। सुबह करीब आठ बजे नदी का जलस्तर कम हुआ तो मुख्य मंदिर में मलबा तो बाहर बड़े-बड़े पेड और बोल्डर पड़े मिले। टपकेश्वर मंदिर में तड़के सुबह चार बजे के आसपास तमसा नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया था। इसके बाद देखते ही देखते नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया। मंदिर में स्थापित करीब 25 फीट की हनुमानजी की मूर्ति के गले तक पानी पहुंच गया। सुबह करीब आठ बजे नदी का जलस्तर कम हुआ तो पुजारी समेत अन्य लोग मंदिर पहुंचे। इस दरमियान यहां का मंजर देख कांप उठे। मंदिर में पेड़ और बोल्डर पड़े मिले जिनसे रास्ते तक बंद हो गए थे। कई जगह रेलिंग टूटी मिली तो कही दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी।मलबा भी कई फीट तक जमा मिला। टपकेश्वर मंदिर के महंत 108 कृष्णा गिरी महाराज ने कहा कि आपदा के बाद मंदिर में कुछ भी सुरक्षित नहीं बचा है। आचार्य डॉ. विपिन जोशी ने कहा कि इस प्रकार का विकराल रूप कभी नहीं देखा। बताया कि मंदिर में आपदा में ढहा पुल 1962 में बना था। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात बादल आफत बनकर बरसे। विभिन्न स्थानों पर नदी में बहने और मलबे में दबने से 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि 13 से अधिक लोग लापता हैं। हालांकि मौठ नदी में दो पुराने शव भी मिले हैं। प्रशासन ने 13 की मौत, तीन घायल और 13 लोगों के लापता होने की पुष्टि की है। जिले में 11 नदियां उफान पर आने से 13 पुल क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि 62 सड़कें क्षतिग्रस्त होने से बंद हो गईं।सहस्रधारा के पास बादल फटने से तबाही मच गई। यहां कई संपत्तियां नष्ट हुईं। कई नदियां ऊफान पर आईं तो अपने साथ लोगों को बहाकर ले गई। मालदेवता से ऊपर फुलेट गांव में मकान गिर गया, जिसमें आठ लोग दब गए। शाम तक कुल 17 लोगों के शव अलग-अलग जगह से बरामद हुए। प्रेमनगर नंदा की चौकी के पास पुल टूट गया, जिससे यातायात पूरी तरह बंद हो गया। इसके अलावा कई और छोटे-बड़े पुल क्षतिग्रस्त हुए। पर्यटन स्थल गुच्चूपानी में कई संपत्तियां नष्ट हो गईं। मालदेवता क्षेत्र में भी व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ।शहर के बीचोंबीच डालनवाला के रिस्पना नदी से सटे इलाके में भारी नुकसान हुआ। यहां मोहिनी रोड पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया। सहस्रधारा क्षेत्र में चार लोग बह गए, इनमें से तीन के शव शाम तक बरामद हो गए। सबसे ज्यादा जान का नुकसान झाझरा क्षेत्र में आसन नदी में हुआ। यहां खनन कार्य में लगे 15 मजदूर ट्रैक्टर-ट्रॉली समेत बह गए। अलग-अलग जगहों से शाम तक आठ शव बरामद कर लिए गए थे, तीन को बचा लिया, चार लापता हैं। मालदेवता के पास टिहरी क्षेत्र को जोड़ने वाले पुल की अप्रोच रोड बह गई। प्रसिद्ध टपकेश्वर मंदिर में कुछ साल पहले स्थापित की गई बड़ी पीतल की प्रतिमा बह गई।गर्भगृह तक पानी पहुंचा व शिवलिंग तक डूब गया। तमसा नदी पर मंदिर परिसर में बना पुल भी तेज बहाव में टूट गया। जामुनवाला स्थित एकादश मुखी हनुमान मंदिर परिसर भी आधे से ज्यादा पानी में बह गया। मुख्य मंदिर भी खतरे की जद में आ गया। देर शाम तक पुलिस प्रशासन, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ बचाव कार्य में जुटे थे। शाम तक बचाव दलों ने सैकड़ों लोगों को सुरक्षित निकाल लिया था।











Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button