Home Tuition in Dehradun
उत्तराखंड

तेज गर्जना, बिजली चमकी, संभलने का नहीं मिला माैका, पलक झपकते दिखी तबाही की तस्वीर

चमोली जिले में बार-बार प्रकृति अपना प्रकोप दिखा रही है। नंदानगर क्षेत्र में जो कुछ हुआ, उसने सबको झकझोर कर रख दिया। बुधवार की रात तेज बारिश और बादलों की गर्जना के बीच आई एक भयानक आपदा ने पलक झपकते ही कई घरों को मलबे में तब्दील कर दिया। लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही पहाड़ी से आया मलबे और पानी का सैलाब सब कुछ बहा ले गया।नंदानगर में बुधवार शाम से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी जिसने देर रात करीब एक बजे अचानक तबाही का रूप ले लिया। जब लोग गहरी नींद में थे तभी एक तेज गर्जना के साथ बिजली चमकी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसके तुरंत बाद पहाड़ी से भारी मलबा और पानी का सैलाब तेजी से गांवों की ओर बढ़ा। फाली लगा कुंतरी व सैंती लगा कुंतरी के सामने समने सैंती और फाली गांव हैं।वहां से लोगों ने पहाड़ी से पानी और मलबा आने की आवाज सुनी तो तुरंत चिल्लाकर लोगों को बाहर भागने की चेतावनी दी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मलबा इतनी तेजी से आया कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। पलभर में कई मकान मलबे की चपेट में आकर ध्वस्त हो गए। चारों तरफ चीख-पुकार मच गई।

लोग अपने परिवारों को बचाने की जद्दोजहद में जुट गए। दिलबर सिंह रावत ने बताया कि तेज धमाके की आवाज सुनकर वह बाहर आए तो देखा कि ऊपर से तेजी से पानी और मलबा आ रहा है। यह देखकर वह तुरंत पत्नी देवेश्वरी (65) को घर से बाहर निकालने के लिए जा रहे थे अचानक मलबे में मकान दब गया और आंखों के सामने ही उनकी पत्नी मलबे में दब गई।चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी बृहस्पतिवार को करीब 16 किलोमीटर पैदल चलकर नंदानगर के आपदा प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे। बृहस्पतिवार को तड़के जिलाधिकारी को जैसे ही क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही की सूचना मिली तो उन्होंने आपदा प्रबंधन की टीम को साथ लेकर सुबह छह बजे नंदानगर के लिए रवानगी की। कांडई पुल के समीप नंदप्रयाग-नंदानगर सड़क बाधित होने के कारण वहां से सेरा गांव होते हुए जिलाधिकारी कुंतरी गांव पहुंचे। दिनभर उन्होंने आपदा राहत कार्यों का जायजा लिया। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सर्वेश पंवार नंदानगर में ही कैंप किए हुए हैं। नंदानगर आपदा के चलते फाली लगा कुंतरी, सरपाणी, धुर्मा और मोख में करीब 45 भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 15 गोशालाएं भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। चार पशुओं की मौत हुई है और 28 पशु लापता हैं। 10 घायलों को हेलिकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया, दो का नंदानगर में उपचार चल रहा है। बचाव कार्यों में एनडीआरएफ के 27, एसडीआरएफ के 22, आईटीबीपी के 28, पुलिस के 20 व डीडीआरएफ के सात जवान लगे हुए हैं। नंदानगर और सेरा में राहत शिविर में प्रभवितों के रहने और खाने की व्यवस्था की गई है।नंदानगर में आई आपदा में राहत और बचाव कार्य लगातार रही है। इस दौरान गंभीर घायल 11 लोगों को हेलीकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया। जिसमें भीम सिंह (55), कमला देवी (60), सचिता देवी (53) सहित अन्य आठ लोग शामिल हैं। फाली लगा कुंतरी के प्रभावित परिवारों के लिए प्राथमिक विद्यालय सैंती, मरिया आश्रम और पूर्ति निरीक्षक गोदाम में राहत शिविर बनाए हैं। धुर्मा गांव के करीब 25 और सेरा गांव के करीब 12 परिवारों के लिए भी देर शाम तक शिविर की व्यवस्था की जा रही है।बृहस्पतिवार को आई आपदा ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा में नंदानगर से लेकर सेरा तक 12 आवासीय भवन और लगभग 5 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। कई नाली कृषि भूमि में मलबा आने और नदी के कटाव से फसलें पूरी तरह बरबाद हो गई हैं। फाली के साउटनोला में एससी बस्ती के करीब 5 आवासीय भवनों का नामोनिशान नहीं बचा है गनीमत रही कि परिवार के लोग रात में ही घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। धुर्मा बगड़, गवाड़ और सेरा में महिपाल गुसाईं का आवासीय मकान भी क्षतिग्रस्त हो गया है। आपदा से कई महत्वपूर्ण मोटरमार्ग और पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। नंदानगर के बंगाली मोटर मार्ग पर गरणी में बना मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके साथ ही सेरा, धुर्मा, और मोख सड़कें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। नंदानगर के बस स्टेशन से पुराने बाजार को जोड़ने वाला लोहे का पुल भी टूट गया है जिससे आवाजाही रुक गई है। मोक्ष नदी ने धुर्मा से सेरा तक भारी तबाही मचाई है। वहीं सालू बगड़ में चुफला नदी के भारी भू-कटाव से दोनों तरफ के मकानों को खतरा पैदा हो गया है। घिघराण में चुफला नदी और कीर्ति गाड़ के कारण भी कई मकान खतरे की जद में आ गए हैं। बांजबगड़ से नंदानगर तक नदी किनारे स्थित मकान भी खतरे में हैं।





Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button