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उत्तराखंड

भारत का वो गांव जहां दुल्हनें बारात लेकर पहुंचती हैं अपने दुल्हे के घर, दहेज में दिए जाते हैं पांच बर्तन

देहरादून के जौनसार बावर में अनूठी परंपरा निभाई गई, जहाँ दो दुल्हनें बारात लेकर दूल्हों के घर पहुंचीं। इस विवाह में सात फेरों की जगह सात वचन लिए जाते हैं और दहेज का प्रचलन नहीं है, केवल पांच बर्तन दिए जाते हैं। ‘झोझोड़ा विवाह’ कहे जाने वाले इस विवाह में दुल्हन के साथ बाराती भी शामिल थे। जौनसार बावर अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है।जनपद देहरादून के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में अपनी अनूठी संस्कृति, रीति रिवाज आज भी कायम है। यहां सबसे खास है कि दुल्हन का दुल्हे के घर बारात लेकर जाना। जौनसार में दो दुल्हनें बारात लेकर अपने दुल्हों के घर पहुंची। साथ में बाराती भी पहुंचे, जिन्हें स्थानीय भाषा में झोझड़िए व इस तरह के विवाह को झोझोड़ा विवाह कहा जाता है। इस तरह के विवाह में सात फेरे नहीं होते, बल्कि दुल्हा दुल्हन से पंडित सात वचन कराता है।

जौनसार बावर में दहेज रहित शादियां होती हैं। यहां पर दहेज के रूप में पांच बर्तन देने का रिवाज है। दुल्हन बारात लेकर दुल्हे के घर जाती है तो अधिकांश खर्च वर पक्ष का ही होता है। जिससे वधु पक्ष पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता। जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर अपनी अनूठी संस्कृति रीति रिवाज व पारंपरिक शादी समारोह के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।खत शैली के टिपराड़ गांव निवासी खजान सिंह चौहान की बेटी बारात लेकर खत सिलगांव के अलसी गांव निवासी मुन्ना सिंह बिष्ट के घर पहुंची और मुन्ना सिंह के पुत्र सतपाल से जौनसारी रिति रिवाज से विवाह किया, यानि कि झोझोडा बनाया। दुल्हन (झोझलटी) के साथ करीब साठ बाराती (झोझडिये) पहुंचे।

वहीं खत अठगांव के चन्दोऊ गांव में खत बाना से अमर सिंह चौहान की बेटी कृष्णा चन्दोऊ गांव के परम सिंह तोमर के घर बारात लेकर पहुंची और परम सिंह के पुत्र कलम के साथ विवाह किया। पंडित श्रीचंद शर्मा ने बताया कि दोनों की शादी जौनसारी रीति रिवाज के साथ की गयी।

पंडित द्वारा दुल्हन के पहुंचने पर दूल्हे के साथ जयमाला कराकर बेदी पर बैठ कर विधि विधान से पूजन किया जाता है। यहां पर सात फेरे नहीं कराए जाते, बल्कि पूजा अर्चना के साथ सात वचन कराए जाते हैं। जैसे ही दुल्हन बारात लेकर दुल्हे के घर के मुख्य दरवाजे पर पहुंचतीं है।

तो घर में प्रवेश से पहले दुल्हे की बहन व भाई भाभी के पैर धुलाकर कर दरवाजे पर चावल से भरा कलश रखते हैं, जिसे दुल्हन पैर से गिराकर अंदर प्रवेश करती हैं तो दुल्हन की सास उसके गले में मंगलसूत्र पहनाती है। पुरोहित पंडित बारू दत्त शर्मा के अनुसार दोनों की शादी जौनसारी रीति रिवाज के कराई गई। दुल्हन के पहुंचने पर स्वागत गेट पर ढोल दमऊ के साथ स्वागत किया गया। पंडित द्वारा दुल्हन के साथ आए बरातियों भी स्वागत किया गया।

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