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उत्तराखंड

 विशेषज्ञों ने दिए बचाव के टिप्स, मंत्री बोलीं-सफल उपचार संभव, इसे छिपाए नहीं बताएं

बड़ी संख्या में महिलाओं और विभिन्न शिक्षण संस्थानों की छात्राओं ने स्तन और सर्वाइकल कैंसर से बचाव के तौर-तरीके सीखे। साथ ही उनकी स्क्रीनिंग भी की गई।कैंसर का अब सफल उपचार संभव है, इसलिए इसे छिपाने की बजाय चिकित्सक और अपने परिजनों को बताएं। इससे शुरुआत में ही उपचार कर कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकेगा। अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से आयोजित कैंसर जागरूकता कार्यक्रम में यह बातें विशेषज्ञों को प्रतिभागी महिलाओं और छात्राओं को बताईं।

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के सभागार में बृहस्पतिवार को महिलाओं के लिए कैंसर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं और विभिन्न शिक्षण संस्थानों की छात्राओं ने स्तन और सर्वाइकल कैंसर से बचाव के तौर-तरीके सीखे। साथ ही कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की ओर से उनकी स्क्रीनिंग भी की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि मातृशक्ति को अपने स्वास्थ्य के प्रति सबसे अधिक सजग होना होगा। स्वस्थ नारी ही मजबूत परिवार, समाज, राज्य और राष्ट्र की नींव होती है।महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी आज एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव का सबसे बड़ा उपाय समय पर जांच और जागरूकता ही है। उन्होंने छात्राओं से समाज में महिला स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने कई सवाल पूछे। इस दौरान कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि के रूप में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन और उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना मौजूद रहीं।

पैनल में शामिल छह विशेषज्ञों ने यह बातें बताईं

– पैनल सदस्य दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य और वरिष्ठ महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. गीता जैन ने कहा कि स्तन और सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला भारत में एक और दूसरे नंबर के कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर से इससे हर आठ मिनट में एक महिला की मौत हो रही है। इसके पीछे के कई कारण हो सकते हैं। इसमें धूम्रपान और निजी अंगों की सही ढंग से साफ-सफाई न करना शामिल है। अब कैंसर का उपचार संभव है, इसलिए इसे छिपाने की आवश्यकता नहीं है।

–  मैक्स अस्पताल की वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. रुनू शर्मा ने कहा कि स्तन कैंसर अब शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। लगातार हो रहा शहरी करण इसके पीछे का मुख्य कारण है। आज देखा गया है कि लोगों की जीवनशैली में लगातार बदलाव हो रहा है। भारत में स्तन कैंसर के प्रति जागरुकता में भारी कमी भी है। महिलाओं को तीसरे-चौथे स्टेज के बाद ही स्तन कैंसर के बारे में पता चल पाता है।

–  एम्स ऋषिकेश की वरिष्ठ महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. राजलक्ष्मी मुंथड़ा ने कहा कि महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर एचपीवी वायरस की वजह से होता है। इस वायरस की चपेट में आने वाली 90 फीसदी महिलाएं स्वस्थ हो जाती हैं। 10 प्रतिशत महिलाएं जो इससे संक्रमित रहती हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह कैंसर 10 से 15 वर्षों में डेवलप होता है। इससे बचने के लिए 9 से 15 साल की किशोरियों को सर्वारिक्स वैक्सीन की दो डोज और 15 से 26 साल तक के लिए तीन डोज लगाई जाती हैं।

–  कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की अध्यक्ष वरिष्ठ महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमिता प्रभाकर ने कहा कि स्तन कैंसर का स्क्रीनिंग और अन्य माध्यमों से शुरुआती चरण में ही पहचानना जरूरी है। इसकी पहचान करने के लिए तीन मुख्य स्तंभ होते हैं। इसमें ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन, क्लीनिकल एक्जामिनेशन और मेमोग्राफी शामिल है। कहा कि आज कल सफल कैरियर की चिंता में महिलाएं देरी से विवाह करती हैं। ऐसे में बच्चे भी देरी से पैदा होता हैं। महिलाएं बच्चों को फीड भी कम करवाती हैं। ये भी ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारण हैं।

– कोरोनेशन अस्पताल की वरिष्ठ महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तुलसी बिष्ट ने कहा कि स्वस्थ महिला से स्वस्थ परिवार को जन्म मिलता है और स्वस्थ से स्वस्थ समाज और राष्ट्र की उत्पत्ति होती है। उन्होंने कहा कि अगर आपको थोड़ी सी भी असहजता होती है तो बिना किसी देरी के चिकित्सक को दिखाएं। आज भी देखा गया है कि लोगों में स्तन कैंसर को लेकर बहुत ज्यादा जागरूकता नहीं है। ऐसे में उनको जब पता चलता है तब तक कैंसर चौथे स्टेज तक पहुंच जाता है। ऐसे में जान का भी खतरा बढ़ जाता है।

–  राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की वरिष्ठ सर्जन डॉ. मोनिका ने कहा कि पर्वतीय इलाकों में महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता काफी कम है। उनको ब्रेस्ट कैंसर होने के बाद पता ही नहीं चल पाता है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं से अपने परिवार और आस-पास रहने वाले लोगों को स्तन और सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूक करने की अपील की। प्रत्येक महिला जीवनभर में एक बार एचपीवी वायरस की चपेट में अवश्य आती है। ये संक्रमण दो वर्षों में अपने आप खत्म हो जाता है।

25 महिलाओं ने कराई स्क्रीनिंग, चार में दिखे कैंसर के लक्षण

अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से दून मेडिकल काॅलेज में कैंसर जागरूकता शिविर का आयोजन किया। इस दौरान 17 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक की महिलाओं की स्क्रीनिंग भी की गई। महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा ने उनकी स्क्रीनिंग की। करीब 25 महिलाओं ने स्क्रीनिंग कराई जिसमें से चार लोगों में कैंसर के लक्षण दिखने पर उन्हें रेफर किया गया।

दून मेडिकल कॉलेज में आयोजित कैंसर जांच शिविर में अधिकांश संख्या युवाओं की थी। वह अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग दिखीं। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 25 में से युवाओं की संख्या 17 थी। पहले वह थोड़ा संकुचित दिखीं लेकिन जब कुछ लकड़ियों ने अपनी स्क्रीनिंग कराने की पहल की तो अन्य भी आगे आईं। 22 वर्षीय एक लड़की को कई दिनों से परेशानी थी जब उसकी स्क्रीनिंग की गई तो उसमें कैंसर के लक्षण दिखे। इसके बाद उसे मेमोग्राफी के लिए रेफर कर दिया गया। दो अन्य लकड़ियां ऐसी थीं जिनके ब्रेस्ट में अंतर था और उनमें हल्की गांठ थी।

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा ने उससे बात की तो पता चला कि उनके परिवार में भी किसी को कैंसर हो चुका है। एक महिला को ब्रेस्ट टीबी थी जिसका उपचार हो चुका था। मगर उसे फिर से परेशानी हो रही थी। एक 30 वर्षीय महिला की ब्रेस्ट में गांठें बन रही थीं और चुभन हो रही थी। डॉ. रेखा ने सभी को मेमाग्राफी और कुछ जांचें कराने के लिए कहा। साथ ही सभी युवाओं को कैंसर से बचाव के लिए टीका जरूर लगाने को कहा। उन्होंने कहा कि जिनमें कैंसर के लक्षण मिले हैं। उनहें मेमोग्रााफी कराने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी पुष्टि होगी।

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