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उत्तराखंड

खतरनाक… दून का एक्यूआई पहुंचा 300 के करीब, दिल्ली जैसी हवा, दीपावली से भी ज्यादा प्रदूषण

देशभर में बढ़ रहे वायु प्रदूषण का असर देहरादून में भी साफ दिख रहा है। राजधानी की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। मंगलवार को इस साल अब तक सबसे खराब वायु गुणवत्ता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देहरादून का एक्यूआई 294 है। दीपावली के बाद देहरादून में 20 अक्तूबर को अधिकतम 254 एक्यूआई दर्ज किया गया था।दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते एक्यूआई से हाहाकार मचा हुआ है। दिल्ली-नोएडा समेत कई शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों की जान पर खतरा बन रहा है। देहरादून अपनी स्वच्छ आबोहवा के लिए मशहूर है, लेकिन दिसंबर में कुछ दिनों को छोड़ दें तो लगातार यहां भी हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। दिन ढलने के बाद शहर में स्मॉग छाया हुआ है। दून की हवा की गुणवत्ता भी दिल्ली जैसी ही है।दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते एक्यूआई से हाहाकार मचा हुआ है। दिल्ली-नोएडा समेत कई शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों की जान पर खतरा बन रहा है। देहरादून अपनी स्वच्छ आबोहवा के लिए मशहूर है, लेकिन दिसंबर में कुछ दिनों को छोड़ दें तो लगातार यहां भी हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में बनी हुई है। दिन ढलने के बाद शहर में स्मॉग छाया हुआ है। दून की हवा की गुणवत्ता भी दिल्ली जैसी ही है।उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी वायु गुणवत्ता सूचकांक में सोमवार का एक्यूआई 299 दर्ज किया गया। पीएम 2.5 का स्तर 119.83 और पीएम 10 का स्तर 134.11 दर्ज किया गया। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से मंगलवार को जारी बुलेटिन के अनुसार देहरादून का एक्यूआई 294 दर्ज किया गया। सीपीसीबी ने भी प्रदूषण का मुख्य कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 का बढ़ा हुआ स्तर ही माना है।वायु गुणवत्ता में अगले कुछ दिन भी खास सुधार देखने को नहीं मिलेगा। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश होने या तेज हवाएं चलने से एक्यूआई नीचे आ सकता है, लेकिन अगले एक-दो दिनों तक इसकी ज्यादा संभावना नहीं है। बारिश की बूंदें हवा से धूल, पराग और प्रदूषक कणों को नीचे गिरा देती हैं। इसी तरह तेज हवाएं इन प्रदूषकों को फैला देती हैं। इससे हवा साफ होती है। यह एक प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया है, जिसे वेट डिपोजीशन या रेन वाशआउट कहते हैं। इससे कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है। फिलहाल सांस के मरीजों की चिंता बढ़ी हुई है। चिकित्सकों के मुताबिक एक्यूआइ 200 के पार होते ही सांस के रोगियों, बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है।





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