गेहूं निर्यात पर तालिबान सरकार ने लगाया प्रतिबंध
अफगानिस्तान में जब से तालिबान की सरकार आयी है, तब से पूरा देश बदहाली की ओर जा रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान में सूखे के कारण गेहूँ की फसलें बर्बाद हो गई है। अधिकतर देश खाद्यान्न की कमी का हवाला देते हुए पहले ही गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुका है। अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने ट्वीट किया, ‘देश के वित्त मंत्रालय ने सभी कस्टम्स को गेहूं को विदेश जाने से अलग करने का निर्देश दिया है
कम बारिश के कारण फसल प्रभावित
अफगानिस्तान में किसान कम बारिश और अपनी कृषि भूमि के बारे में शिकायत कर रहे हैं, जो इस साल सूख रही है।इसके अलावा, रूस द्वारा यूक्रेन में अपना सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से खाद्य कीमतों, विशेष रूप से गेहूं में काफी वृद्धि हुई है।
गेहूं के दाम 50 फीसदी तक बढ़
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) ने बताया था कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, 22 मिलियन से अधिक लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भूख और भोजन की कमी ने 97 प्रतिशत अफगान आबादी को प्रभावित किया है।गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत ने अफगानिस्तान को दवाओं के अलावा मानवीय सहायता के रूप में 50,000 टन गेहूं उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।