Home Tuition in Dehradun
उत्तराखंड

परंपरागत खेती से हटकर कर मुनाफे वाली खेती रहे किसान, स्ट्रॉबेरी की खेती को दे रहे अब बढ़ावा

कमाई बढ़ी तो स्ट्रॉबेरी की खेती का रकबा भी बढ़ा। हरिद्वार जिले में 130 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है।

हरिद्वार जिले के किसानों का रुझान अब परंपरागत खेती से हटकर मुनाफे वाली खेती की तरफ होने लगा है। इसी के चलते स्ट्रॉबेरी की खेती का रकबा जहां एक साल में 50 हेक्टेयर तक बढ़ गया है, वहीं किसानों की आर्थिकी भी संवरने लगी है। एक साल में किसानों की आजीविका में जबरदस्त उछाल आने से खेती करने वालों की संख्या भी बढ़ने लगी है।

वैसे तो हरिद्वार जिले की पहचान गन्ना, गेहूं और धान की खेती से होती है, लेकिन अब किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। डेढ़ दशक पहले तक जिले के किसान जिस स्ट्रॉबेरी को जानते तक नहीं थे, आज इसी स्ट्रॉबेरी की खेती कर अपनी अलग पहचान बनाने में लगे हैं।

उद्यान विभाग के अनुसार, कुछ साल पहले जिले में कुछ बीघे में ही स्ट्रॉबेरी की खेती होती थी, लेकिन धीरे-धीरे मुनाफा अधिक होने से यहां किसानों की संख्या बढ़ गई है। पिछले साल तक जिले में करीब 80 हेक्टेयर भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही थी। अबकी इसका रकबा बढ़कर 130 हेक्टेयर तक हो गया है।

डेढ़ बीघा से डेढ़ हेक्टेयर तक का सफर

जिले में इस समय सबसे अधिक स्ट्रॉबेरी की खेती रुड़की के मंगलौर क्षेत्र में हो रही है। किसान वाजिद ने 2013 में डेढ़ बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती की थी। खेती में मुनाफा बढ़ा तो इन्होंने और ज्यादा क्षेत्र में इसको उगाना शुरू कर दिया। बताया, खेती करने के साथ ही वह अन्य किसानों को भी इसकी खेती करना सिखा रहे हैं। क्षेत्र के करीब 40 किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। बताया, हिमाचल प्रदेश से स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगाते हैं। इसके बाद इसके फल को हरिद्वार के अलावा दिल्ली और ऋषिकेश की मंडी तक लेकर जाते हैं।

ऐसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती

अक्तूबर महीने में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए तैयारी शुरू होती है। सबसे पहले आलू की तरह बड़ी-बड़ी गूल बनाई जाती है। गूल पर पानी की लाइन बिछाई जाती है। इसके बाद गूल को पॉलिथीन में डालकर ढक दिया जाता है। केवल एक उचित दूरी पर पॉलिथीन पर कट लगाया जाता है, ताकि पौधा बाहर आ सके। पॉलिथीन डालने से फल पर मिट्टी नहीं लग पाती। गूल में डाले गए पाइप लाइन से पौधों की सिंचाई होती है।

राज्य सरकार स्ट्राॅबेरी की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। स्ट्रॉबेरी खेती करने के लिए सरकार 62,500 रुपये प्रति हेक्टेयर सब्सिडी देती है। इसके लिए किसान पहले बाजार से पौधे खरीदकर उगा सकते हैं। इसके बाद विभाग में बिल जमा कर सब्सिडी ले सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button