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उत्तराखंड

 कब्जे और सियासत से जमीन मजबूत करता गया अब्दुल मलिक, लेता था रेलवे से लेकर दूसरे ठेके भी

 हल्द्वानी हिंसा का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक कब्जे और सियासत से जमीन मजबूत करता गया। रेलवे से लेकर दूसरे ठेके भी लेता था। गौला नदी में खनिज निकासी में भी दखल, रेलवे से लेकर दूसरे ठेके भी लेता था। 

हल्द्वानी हिंसा का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक नजूल की भूमि खुर्दबुर्द करने का खेल करने से लेकर राजनीति में अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुटा रहा। उसने 2004 में फरीदाबाद में बसपा के टिकट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था उसे सत्तर हजार से अधिक वोट मिले थे। 

इससे पहले हल्द्वानी नगर पालिका अध्यक्ष के पद पर भी किस्मत आजमाई थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि, पैसे और रसूख की दृष्टि से अब्दुल मलिक का परिवार मजबूत माना जाता रहा है। बताया जा रहा है कि राज्य बनने के बाद हल्द्वानी में कामकाज समेत अन्य गतिविधियां बढ़ी तो रामपुर, बरेली, पीलीभीत आदि जगहों से लोग काम और अच्छे दाम के लिए हल्द्वानी आने लगे। 

ऐसे लोगों के लिए बिना सरकारी प्रक्रिया पूरी किए सस्ती जमीन का विकल्प मलिक का बगीचा बन गया। यहां स्टांप पर जमीन बिक रही थी। बताते हैं कि भूमि खरीदने-बेचने को लेकर खेल हुआ। किसी को यदि जमीन बेच दी गई पर दूसरे से अच्छे रेट मिले तो पहले वाले के दाम वापस कर दूसरे को ताकत के बल पर बेचने की भी चर्चा रहती थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं है।

जमीन के कारोबार के अलावा अब्दुल मलिक ने रेलवे के कामकाज में भी हाथ आजमाया है। बताते हैं कि उसने हल्द्वानी में रेलवे से जुड़े कई काम किए। इसके अलावा गौला नदी में जब प्राइवेट व्यक्ति के माध्यम से खनिज निकासी होती थी, उसमें भी मलिक की सहभागिता होने की बात भी कही जाती थी। इन सबके बीच मलिक ने राजनीति की जमीन पर भी अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुटा रहा।

रेलवे की जमीन पर पैरोकारी
रेलवे ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर अतिक्रमित जमीन को खाली कराने के लिए कई बार कोशिश की थी, इसमें नोटिस देने के साथ दूसरी वैधानिक कार्रवाई की गई। बताते हैं कि इसमें भी मलिक ने कब्जेदारों के पक्ष किसी न किसी रूप में पैरोकारी की थी।

पुलिस ने मुख्य सड़क पर बढ़ाई सख्ती, गलियां नहीं कर पाए बंद
हल्द्वानी के बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में कर्फ्यू सीमित करने के बाद पुलिस ने मुख्य सड़कों पर तो पहरा बढ़ा दिया है और सख्ती भी करनी शुरू कर दी है। हालांकि र शहर में निकलने वाली टेडी-मेड़ी गलियों को अभी तक नहीं पहचान पायी है। कर्फ्यू के बावजूद सोमवार को भी लोग बनभूलपुरा क्षेत्र से बाहर निकलते रहे और अंदर भी गए।

सोमवार को तिकोनिया से वर्कशॉप लाइन वाली सड़क का रास्ता बंद था। इससे यहां सड़क पूरी तरह से सुनसान नजर आयी। रोडवेज बस अड्डे तक सड़क वीरान दिखी। यहां से रेलवे स्टेशन को जाने वाली सड़क पर बेरिकेड लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया था। यहां पर आईटीबीपी और पुलिस तैनात थी। इस जगह से किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। इसी के पास स्थित एक दुकान खुली थी और मटर गली की कुछ दुकानें भी खुली नजर आई जबकि ताज चौराहे के पास भी बेरिकेड लगाकर रास्ता बंद था। यहां से भी आवाजाही नहीं होने दी गई।

गलियों से निकलते रहे लोग
मुख्य बाजार से लगी गलियों में सुरक्षाकर्मी कहीं नजर नहीं आए। लाइन नंबर एक को जोड़ने वाली कई गलियों से लोग सोमवार को भी बेरोकटोक निकलते रहे। कई लोग कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र से इन गलियों के रास्ते बाहर आकर सामान लेकर अंदर भी गए। किसी की नजर इन पर नहीं पड़ सकी। वहीं मंगल पड़ाव सब्जी मंडी वाली गली से भी लोग बेरोकटोक अंदर-बाहर आते-जाते नजर आए।

चार बजे से पहले दुकान समेट दी
सोमवार को मंगल पड़ाव सब्जी मंडी में कुछ दुकानें खुली नजर आई मगर दोपहर बाद दुकानदार जल्दी सामान बेचकर जाने की कोशिश में जुटे रहे। शाम चार बजे से पहले अधिकतर लोगों ने अपना सामान समेट लिया और वहां से चले गए। कुछ लोगों से पूछने पर बताया कि मजबूरी में दुकान खोल रहे हैं, इसलिए जल्दी जा रहे हैं।

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