खुशियों का कल तराशना होगा, बेरोजगारी का हल तलाशना होगा…जानिए क्या चाहते हैं उत्तराखंड के युवा
राजनीतिक दल हर चुनाव में युवाओं से बड़े-बड़े वादे करते है, लेकिन युवाओं को चुनावी वादा नहीं, रोजगार चाहिए।
युवा मतदाताओं को अपना बनाने लिए राजनीतिक दल उनके रोजगार, स्वरोजगार के बड़े-बड़े वादे करते हों, लेकिन चुनाव बाद धरातल पर उनका शोर थम जाता है। पेपर लीक का दंश झेल चुके प्रदेश के युवा अब राजनीतिक दलों से पक्की नौकरी का मजबूत रोडमैप चाहते हैं। प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। उसके सापेक्ष सरकारी नौकरी कम होती जा रही है। युवाओं का कहना है कि चुनाव में कोई भी राजनीतिक दल आए तो इसी हिसाब से उनके सामने मजबूत रोडमैप रखे।
प्रदेश में नौ लाख पंजीकृत बेरोजगार
सेवायोजन कार्यालय के आंकड़ों पर गौर करें, तो उत्तराखंड में वर्ष 2019 तक 8,03,887, वर्ष 2020 तक 7,78,077, वर्ष 2021 में 8,07,722, वर्ष 2022 में 8,79,061, वर्ष 2023 में 8,82,508 और जनवरी 2024 तक 8,83,346 पंजीकृत बेरोजगार हो चुके हैं। सेवायोजन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में बीते पांच सालों के अंदर पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब नौ लाख हो गई, जिसमें से केवल 17 हजार युवाओं को ही रोजगार मिल पाया है।
सबसे ज्यादा बेरोजगार ग्रेजुएट युवा हैं। इनके रोजगार के प्रयास लगातार होते आए हैं, लेकिन बेरोजगारी की संख्या में कमी नहीं दिख रही। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की हालिया रिपोर्ट भले ही राहत भरी हो, जिसमें राज्य की बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में राज्य की बेरोजगारी दर 4.2 प्रतिशत तक पहुंचने की जानकारी दी गई है, लेकिन साल दर साल आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
68 हजार से ज्यादा पद पड़े हैं खाली
प्रदेश में इस समय 68 हजार 586 पद खाली पड़े हुए हैं। इनमें श्रेणी क के 9,636 स्वीकृत पदों में से 4,199 पद, श्रेणी-ख के 13,622 में से 4,826, समूह ग के 1,68,672 में से 48,706 और समूह घ के 66,010 में से 10,855 खाली पद शामिल हैं। कुल मिलाकर 2,57,940 में से 68,586 पद खाली पड़े हुए हैं। राज्य के जिला न्यायालयों व कुटुम्ब न्यायालयों में राजपत्रित व अराजपत्रित के 776 पद खाली हैं। न्यायालयों में जजों के कुल 225 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 23 पद खाली हैं। यहां समूह ग के 1,561 पदों में से 519 खाली हैं। समूह घ के 917 में से 234 पद खाली पड़े हुए हैं। कुल मिलाकर 2,703 स्वीकृत पदों में से 776 खाली हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा विद्यालयी शिक्षा (प्राथमिक) के 11,418 और विद्यालीय शिक्षा (माध्यमिक) के 8,130 के पद खाली पड़े हुए हैं।
पेपर लीक रोकने को सख्त कानून बनाया
उत्तराखंड में बेरोजगारी बढ़ने का सबब बने पेपर लीक को रोकने के लिए सरकार ने सख्त नकलरोधी कानून बनाया है। बीते करीब डेढ़ साल से पेपर लीक प्रकरण का असर नई भर्तियों पर भी नजर आता रहा है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियों के पेपर लीक होने के बाद राज्य सरकार ने 18 भर्तियां राज्य लोक सेवा आयोग को सौंप दी थीं। इनमें से कुछ भर्तियां राज्य के आयोग ने कराई हैं, बाकी अब सरकार ने वापस अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को लौटा दी हैं। इसके चलते भर्तियों में काफी देरी भी हुई और युवाओं को नुकसान भी हुआ। हालांकि, पेपर लीक रोकने को राज्य सरकार ने प्रदेश में सख्त कानून लागू कर दिया है। वहीं, पिछले दो साल में बड़ी संख्या में राज्य लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भर्तियां निकाली हैं।
बेरोजगारों के आंदोलनों से निकले युवा नेता
प्रदेश में बेरोजगारी, पेपर लीक, भर्तियों के मामलों पर लड़ाई लड़ते हुए अब युवा नेता भी सामने आने लगे हैं। ऐसे ही आंदोलनों से निकले बॉबी पंवार टिहरी लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा भी कई संगठन प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान कायम करने की जद्दोजहद में जुटे हैं, तो कई काफी आगे निकल चुके हैं।
राजनीतिक दलों का इस बार ये वादा
कांग्रेस : बेरोजगारों के लिए सत्ता में आते ही तत्काल सरकारी विभागों में 30 लाख युवाओं को रोजगार की गारंटी, पेपर लीक रोकने को नए कानून की गारंटी, असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए स्वास्थ्य बीमा की गारंटी, युवाओं को स्वरोजगार, उद्यमशीलता के लिए 5,000 करोड़ का राजकीय कोष (कारपस फंड) बनाने और हर ग्रेजुएट व डिप्लोमाधारक को एक लाख रुपये प्रति वर्ष स्टाइपेंड देने व डिग्री के साथ ही पहले रोजगार की गारंटी लेकर आई है।
भाजपा : पार्टी रोजगार के साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने, स्टार्टअप से उद्यमशीलता की ओर युवाओं के कदम बढ़ाने, सरकारी भर्तियों की तेजी को बरकरार रखने के वादे के साथ ही पूर्व में किए गए कार्यों को भी युवाओं के बीच रख रही है। इसमें सख्त नकलरोधी कानून से लेकर भर्तियों में पारदर्शिता बढ़ाने, रोजगार के नए अवसर पैदा करने से लेकर स्किल आधारित कोर्स, विदेशों में नर्स भर्ती तक शामिल है।
क्या कहते हैं युवा नेता
सरकार पेपर लीक रोकने में नाकाम रही। कानून बनाया, लेकिन भर्तियां ही नहीं निकाल पा रही हैं। इतनी बड़ी संख्या में सरकारी पद खाली पड़े हैं। नई भर्तियों के इंतजार में युवाओं की उम्र निकलती जा रही है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ती जा रही है। –