साइबर सुरक्षा के लिए मजबूत पहल, मिल रहे सुखद परिणाम
‘आई4सी’ के कारण प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में न सिर्फ सुधार हुआ है, बल्कि यह साइबर अपराध से निपटने में भी सक्षम है।
प्रधानमंत्री की पहल पर देश के नागरिकों को ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करने के लिए आई4सी कार्यक्रम चलाया गया है, जिसके सुखद परिणाम देखे जा रहे हैं। आई4सी को भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र भी कहा जाता है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी में बना है। वर्ष 2020 में अपनी स्थापना के बाद से इस केंद्र ने देश भर में 4.7 लाख से अधिक शिकायतों का निपटारा कर के 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। इन आंकड़ों से यह तो पता चलता ही है कि भारत साइबर अपराधों को रोकने में कितना सफल हुआ है, यह भी स्पष्ट होता है कि 2020 के बाद से दर्ज मामलों की संख्या में 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बचाई गई धनराशि में 800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानी राष्ट्रव्यापी साइबर अपराध रोकथाम तंत्र अब गति पकड़ चुका है।
ऐसे समय में, जब भारत दुनिया की शीर्ष तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर अग्रसर है, मजबूत साइबर सुरक्षा प्रणाली का काफी महत्व है। जब तक देश खुद को साइबर-अनुकूल राष्ट्र के रूप मंे स्थापित नहीं कर लेता, तब तक विकसित भारत की परिकल्पना अधूरी रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक भाषण में कहा भी था-‘साइबर सुरक्षा अब केवल डिजिटल दुनिया तक ही सीमित नहीं है। यह राष्ट्रीय और वैश्विक सुरक्षा का विषय है।’
भारत के सामने साइबर सुरक्षा की बड़ी चुनौती है। जब भारत ने जी-20 की वेबसाइट लॉन्च किया था, तो हैकरों द्वारा प्रति मिनट 16 लाख हमले हुए थे और भारत इनसे बचाव करने में सफल रहा था।
जी-20 शिखर सम्मेलन में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा भी था- ‘हालांकि, प्रौद्योगिकी मनुष्यों, समुदायों और देशों को करीब लाने की दिशा में एक सकारात्मक विकास है, लेकिन कुछअसामाजिक तत्व और वैश्विक ताकतें प्रौद्योगिकी का उपयोग नागरिकों और सरकारों को आर्थिक व सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए कर रही हैं। इसलिए यह सम्मेलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह डिजिटल दुनिया को सभी के लिए सुरक्षित बनाने की समन्वित कार्रवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल हो सकता है।’ गृहमंत्री अक्सर कहते रहे हैं कि, आतंकवाद, आतंक के वित्तपोषण, कट्टरपंथ, सहित नई और उभरती, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है।
केंद्र सरकार ने एक समान साइबर रणनीति की रूपरेखा तैयार करने, साइबर अपराधों की वास्तविक समय पर रिपोर्टिंग करने, एलईए क्षमता का निर्माण करने, विश्लेषणात्मक उपकरण बनाने, फोरेंसिक प्रयोगशालाओं का राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करने, साइबर स्वच्छता सुनिश्चित करने और हर नागरिक तक साइबर जागरूकता फैलाने की दिशा में काम किया है। देश में शुरू की गई सेफ सिटी परियोजना ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों अपराधों से निपटने के लिए अत्याधुनिक कमांड सेंटर प्रदान करती है।
देश में जो तीन नए आपराधिक कानून बने हैं, उनमें भी साइबर अपराधियों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले कानूनों की खामियों को लगभग समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। अपराधी तत्वों द्वारा इस्तेमाल किए गए डिजिटल उपकरणों को अब सबूत के रूप में मान्यता दे दी गई है।
जांच एजेंसियों को सशक्त बनाते हुए देश के सभी पुलिस स्टेशनों में क्राइम ऐंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क ऐंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) लागू किया गया है। भारतीय साइबर-अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के जरिये साइबर अपराध के खिलाफ एक समन्वित और व्यापक कार्रवाई सुनिश्चित हो सकती है। आई4सी साइबर अपराध से संबंधित सभी मुद्दों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके कारण प्रवर्तन एजेंसियों और हितधारकों के बीच समन्वय में न सिर्फ सुधार हुआ है, बल्कि साइबर अपराध से निपटने के लिए जरूरी क्षमता भी हासिल हो गई है। इससे नागरिक संतुष्टि के स्तर में सुधार करना संभव हो गया है। सरकार ने ‘साइट्रेन’ पोर्टल नाम से एक विशाल ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम मंच भी तैयार किया है। यह साइबर सुरक्षा में दुनिया का सबसे व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम माना जा सकता है। गृह मंत्रालय ने बारीकी से और सुव्यवस्थित रणनीतियों के जरिये देश को एक ऐसे युग में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है, जहां वर्चुअल रियलिटी ने दुनिया का एक अलग ही स्वरूप तैयार कर दिया है।