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उत्तराखंड

यात्री ने सुनाई आपबीती… बोले- मेरा पुनर्जन्म हुआ, वो तीन मिनट कभी नहीं भूल पाऊंगा

तीर्थयात्री मयूर ने फोन पर अमर उजाला से हेलिकाॅप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग का मंजर बयां किया। इस दौरान उनका गला फिर रुंध गया

केदारनाथ में बाबा केदार के स्वयंभू लिंग को स्पर्श कर छत्तीसगढ़ रायपुर निवासी मयूर वाडवानी फफक-फफक कर रो पड़े। मयूर, केदारनाथ में इमरजेंसी लैंडिंग करने वाले हेलिकॉप्टर में सवार छह यात्रियों में से एक हैं। शनिवार को वह सकुशल अपने घर पहुंच गए। उन्होंने कहा, केदारनाथ में मेरा पुनर्जन्म हुआ है। जीवन के वो तीन मिनट मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। आज बाबा की कृपा से सकुशल घर लौट आया हूं।

तीन मिनट का मंजर मयूर की जुबानी…

मैं अपने दोस्तों के साथ पहली बार केदारनाथ यात्रा पर आया था। शुक्रवार को हम फाटा पहुंचे थे। शनिवार को शेरसी हेलिपैड पर पहुंचे, जहां से क्रिस्टल कंपनी के हेलिकॉप्टर से हमें केदारनाथ जाना था। हेलिकॉप्टर की आठवीं शटल में मैं और तमिलनाडू के पांच यात्री सवार थे। जबकि मेरे दोस्तों को इसके बाद की शटल से धाम पहुंचना था। पायलट कल्पेशन मरूचा ने हेलिकॉप्टर की उड़ान भरी। 4.35 मिनट में हेलिकॉप्टर केदारनाथ एमआई-26 हेलिपैड के करीब पहुंचा। पायलट हेलिकॉप्टर को हेलिपैड पर लैंड कराने ही वाला था कि पता चला कि टेल रोटर में खराबी आ गई। इसके कारण हेलिकॉप्टर का संतुलन बिगड़ गया। जिस पर पायलट ने हेलिकॉप्टर को हवा में उठा दिया और हेलिपैड के ऊपर दो-तीन चक्कर लगाने के बाद आगे की तरफ बढ़ाते हुए ढलान वाली जगह पर इमरजेंसी लैंडिंग करा दी।

हेलिपैड से इमरजेंसी लैडिंग के बीच का लगभग तीन मिनट का समय, हेलिकॉप्टर के पायलट के साथ ही हम सभी छह यात्रियों के लिए खौफनाक मंजर था। वो तीन मिनट मैं कभी नहीं भूल सकता। जब गोल चक्कर लगाते हुए हेलिकॉप्टर वापस घाटी की तरफ बढ़ा तो लगा कि जीवन खत्म होने वाला है। मेरी आंखें बंद हो गईं थीं और धड़कनें तेज। ऐसा लगा कि कलेजा फट जाएगा। आंखें बंद होने के बाद भी परिजनों का चेहरा नजर आ रहा था।

ऐसा लग रहा था कि बस जीवन यही तक था। लेकिन जैसे ही हेलिकॉप्टर तेज झटके के साथ जमीन पर लैंड हुआ तो आंखें खुलीं। हम सभी यात्री एक-दूसरे को देखने लगे। पायलट से बात नहीं हो पाई। लेकिन उनके चेहरे के भाव से लग रहा था कि उन्होंने संकल्प लिया था कि वह सबकुछ ठीक कर देंगे। पायलट ने जिस साहस व धैर्य से उस मुश्किल वक्त को काबू कर अपने साथ हम छह जिदंगियों को बचाया, वह बाबा केदार का ही चमत्कार था। मैं जीवन के वो तीन मिनट कभी नहीं भूल पाऊंगा, केदारनाथ में मेरा पुनर्जन्म हुआ है।

जब हम यहां से निकलकर मंदिर जा रहे थे तो भी मेरा पूरा शरीर कांप रहा था और आंखों से आंसू बहे जा रहे थे। मैं बस बाबा के दर्शन को आतुर हो रहा था। गर्भगृह में जैसे ही पहुंचा बाबा के स्वयंभू शिवलिंग को देखकर फफक-फफककर रो पड़ा… मुंह से बोल नहीं निकल रहे थे, पर मन से एक ही आवाज निकल रही थी, हे केदार तेरी कृपा से यह पुनर्जन्म मिला है। मंदिर के गर्भगृह में बाबा के सामने अपने परिवार को याद करते हुए जोर-जोर से रोने का मन कर रहा था।

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