उत्तराखंड में कुप्रथाएं होंगी खत्म, सबको मिलेगा एक समान अधिकार, जानें यूसीसी का इतिहास
सीएम आवास में यूसीसी की विशेषज्ञ समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपने के दौरान उपाध्याय ने मीडिया से समान नागरिक संहिता की विशेषताओं और उनके संभावित प्रावधानों को साझा किया।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने से दशकों से चली आ रहीं कुरीतियां और कुप्रथाएं खत्म होंगी। सभी को एक समान अधिकार मिल सकेगा। बेटा-बेटी और स्त्री-पुरुष के बीच का भेदभाव खत्म होगा।
यह कहना है कि समान नागरिक संहिता की कानूनी जंग लड़ने वाले अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय का। सीएम आवास में यूसीसी की विशेषज्ञ समिति की ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपने के दौरान उपाध्याय ने मीडिया से समान नागरिक संहिता की विशेषताओं और उनके संभावित प्रावधानों को साझा किया। कहा, समिति ने यूसीसी का ड्राफ्ट सौंप दिया है।
कहा, सरकार ड्राफ्ट का परीक्षण करेगी। उत्तराखंड में यह ऐतिहासिक काम होगा। यह देश के लिए नजीर बनेगा। संविधान निर्माता यही चाहते थे।भारतीय संस्कृति महिला-पुरुष के भेदभाव का विरोध करती है। दुर्भाग्यवश भारत में आज भी बहुत सारी कुरीतियां जारी हैं। कुछ कुप्रथाओं के खिलाफ कानून बनें, लेकिन अब भी समाज कई ऐसी कुरीतियां विद्यमान हैं, जिन्हें खत्म करने की जरूरत है।
कई दशक बाद धरातल पर उतरेगा यूसीसी
– 1962 में जनसंघ ने हिंदू मैरिज एक्ट और हिंदू उत्तराधिकार विधेयक वापस लेने की बात कही। इसके बाद जनसंघ ने 1967 के उत्तराधिकार और गोद लेने के लिए एक समान कानून की वकालत की। 1971 में भी वादा दोहराया। हालांकि 1977 और 1980 में इस मुद्दे पर कोई बात नहीं हुई।
– 1980 में भाजपा का गठन हुआ। भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। पार्टी ने 1984 में पहली बार चुनाव लड़ा, जिसमें केवल दो सीटें मिली।
– 1989 में 9वां लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें भाजपा ने राम मंदिर, यूनिफॉर्म सिविल कोड को अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल किया। पार्टी की सीटों की संख्या बढ़कर 85 पहुंची।
– 1991 में देश में 10वां मध्यावधि चुनाव हुआ। इस बार भाजपा को और लाभ हुआ। उसकी सीटों की संख्या बढ़कर 100 के पार हो गई। इन लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड, राम मंदिर, धारा 370 के मुद्दों को जमकर उठाया। ये सभी मुद्दे बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल थे, मगर संख्या बल के कारण ये पूरे नहीं हो पाए थे।
– इसके बाद 1996 में भाजपा ने 13 दिन के लिए सरकार बनाई। 1998 में पार्टी ने 13 महीने सरकार चलाई। 1999 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ बहुमत से सरकार बनाई। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।
– वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केंद्र में मोदी सरकार आई। मोदी सरकार ने पूरे जोर-शोर से अपने चुनावी वादों पर काम करना शुरू किया। अब केंद्र की सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इसी कड़ी में यूसीसी को लागू कर उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।
-उत्तराखंड में 2022 में भाजपा ने यूसीसी के मुद्दे को सर्वोपरि रखते हुए वादा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम किया जाएगा। धामी सरकार ने यूसीसी के लिए कमेटी का गठन किया। जिसने डेढ़ साल में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया। अब विधानसभा का विशेष सत्र पांच फरवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें पास होने के बाद यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा।