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उत्तराखंड

दीयों की रोशनी से जगमग हुए चारधाम, हुई विशेष पूजा-अर्चना, श्रद्धालुओं ने ऐसे मनाया दीपोत्सव

मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी लाइटों से भव्य तरीके से सजाया गया है। मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भी भीड़ लगी रही।

चारधाम में आज शुक्रवार को दीपावली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दीप जलाए। बदरीनाथ धाम में विधि विधान के साथ महालक्ष्मी, कुबेर जी और फिर भगवान बदरीनाथ के खजाने की पूजा की गई।

मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी लाइटों से भव्य तरीके से सजाया गया है। मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भी भीड़ लगी रही। बदरीनाथ धाम में अपराह्न पांच बजे के बाद प्रदोष काल में पूजाएं संपन्न कराई गई। धाम में गणेश जी और फिर महालक्ष्मी पूजन शुरू हुआ। उसके बाद कुबेर जी व भगवान के खजाने की पूजा की गई।

बदरीनाथ के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने धाम में पूजाएं संपन्न कराई। इसमें धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर उपाध्याय, मंदिर अधिकारी राजेंद्र चौहान, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप भट्ट, लेखाकार भूपेंद्र रावत, संदेश मेहता सहित हक हकूकधारी आदि भी शामिल रहे। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि धाम में दीपावली सदियों से चली परंपराओं के अनुसार मनाया गया।

गोपीनाथ मंदिर में दीये जलाने के साथ की पूजा अर्चना
गोपेश्वर स्थिति गोपीनाथ मंदिर में भी शुक्रवार को दीपावली पर्व मनाया गया। मंदिर परिसर में भक्तों ने दीये जलाए। अपराह्न मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद रहे।

केदारनाथ: महालक्ष्मी पूजन के लिए 10 क्विंटल फूल व 1100 दीयों से सजा मंदिर
पंचकेदार में प्रमुख केदारनाथ धाम में महालक्ष्मी पूजन के लिए 10 क्विंटल फूलों के साथ ही 1100 दीयों से सजाया गया है। मंदिर परिसर के चारों तरफ दीये जलाए गए। बाबा केदार की सांयकालीन पूजा व आरती के बाद महालक्ष्मी पूजन शुरू हुआ।

शुक्रवार को अपराह्न बाद केदारनाथ मंदिर के लक्ष्मी-नारायण विग्रह में साज-सज्जा शुरू की गई। यहां पर धार्मिक परंपराओं के तहत पूजा-अर्चना के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई गई। सांय करीब 6.30 बजे बाबा केदार की पूजा-अर्चना व आरती के बाद केदारनाथ धाम में दीपावली के पावन पर्व पर महालक्ष्मी पूजन शुरू हुआ।

रविग्राम के जलमोकी ब्राह्मणों के द्वारा महालक्ष्मी के पूजन की सभी परंपराओं का निर्वहन किया गया। इस मौके पर मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग व अन्य तीर्थपुरोहितों ने पूजा का संकल्प लिया।  

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