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उत्तराखंड

 गडकरी और यादव से मिले सीएम धामी, पन बिजली परियोजनाओं व रोपवे को मिले पर्यावरणीय मंजूरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में चारधाम यात्रा के दौरान पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है। इससे राज्य की सड़कों पर यातायात का दबाव बढ़ा है। लिहाजा सड़कों की यातायात वहन क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में सड़क, बिजली और रोपवे की परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में मुलाकात की। उन्होंने वन मंत्री से राज्य की विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण एवं पर्यावरणीय मंजूरी देने की मांग की।चारधाम यात्रा में पर्यटकों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि होने और राज्य की सड़कों पर यातायात का बढ़ते दबाव को देखते हुए सीएम ने गडकरी से सर्वोच्च प्राथमिकता की विभिन्न परियोजनाओं की स्वीकृति देने का अनुरोध किया। गडकरी ने चर्चा के दौरान केंद्रीय सड़क अवसंरचना निधि के तहत अवशेष प्रतिपूर्ति के संबंध में राज्य को प्रतिवर्ष देय धनराशि की प्रतिपूर्ति करने की सहमति दी। राजधानी देहरादून में ट्रैफिक दबाव से निपटने के लिए निर्णय हुआ कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-07 के लूप के रूप में बिंदाल नदी एवं रिस्पना नदी में कुल 26 किमी लंबी एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण एवं वनभूमि हस्तांतरण की कार्यवाही राज्य सरकार करेगी। इस परियोजना की निर्माण लागत 6164 करोड़ पर देय एसजीएसटी व रॉयल्टी की धनराशि में राज्य सरकार द्वारा छूट प्रदान करने पर निर्माण के लिए शेष धनराशि का वहन केंद्र सरकार करेगी।पंतनगर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण से प्रभावित राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-109 (पुराना 87) के संशोधित संरेखण में होने वाले अतिरिक्त खर्च 183 करोड़ में भी राज्य सरकार एसजीएसटी की धनराशि में छूट प्रदान करेगी और शेष धनराशि का खर्च केंद्र उठाएगा। बैठक में खटीमा रिंग रोड का निर्माण एनएचएआई के माध्यम से कराने, एनएच संख्या-507 बाड़वाला-कटापत्थर-जुड्डो-लखवाड़ बैंड प्रभाग का चौड़ीकरण का कार्य तथा एनएच संख्या-534 के दुगड्डा-गुमखाल प्रभाग का चौड़ीकरण का कार्य पर केंद्रीय मंत्री सहमति दी। ऋषिकेश बाईपास के प्रथम भाग (नेपाली फार्म से ढालवाला) के वैकल्पिक संरेखण में वन भूमि हस्तांतरण के लिए कार्यवाही आगामी तीन माह में पूरा करने पर सहमति बनी। तय हुआ कि नेशनल हाईवेज एंड लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड द्वारा बनाये जाने वाले केदारनाथ रोपवे के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री व केन्द्रीय राज्य मंत्री सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से विचार-विमर्श कर निविदा स्वीकृति की कार्यवाही की जाएगी।इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम एवं स्थानिक आयुक्त अजय मिश्रा उपस्थित थे।

बिजली परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण और पर्यावरणीय मंजूरी का अनुरोध भी किया
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से त्यूनी-प्लासू जल विद्युत परियोजना के लिए वन भूमि के हस्तांतरण के साथ ही रुपसियाबगड़ जल विद्युत परियोजना के लिए वांछित पर्यावरण स्वीकृति एवं वन भूमि हस्तांतरण की स्वीकृति देने का अनुरोध किया।सीएम ने कहा कि विद्युत ऊर्जा की आवश्यकताओं के लिए उत्तराखंड को अन्य राज्यों एवं केंद्रीय पूल से बिजली खरीदनी पड़ती है। ऊर्जा जरूरतों की मांग पूरा करने के लिए नई पर्यावरण अनुकूल जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण आवश्यक है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में अत्यधिक मदद मिलेगी। राज्य की पलायन की समस्या पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा। सीएम ने टौंस पर प्रस्तावित 72 मेगावाट क्षमता की त्यूनी-प्लासू जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए आवश्यक 47.547 हे. वन भूमि एवं राजस्व भूमि (बंजर भूमि) के हस्तांतरण की शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया। कहा कि गंगा नदी पर प्रस्तावित परियोजनाओं पर स्वीकृति प्राप्त न होने से यमुना नदी पर तथा कुमाऊं क्षेत्र में गौरीगंगा, धौलीगंगा नदियों पर नई विद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जाना नितांत आवश्यक है।उन्होंने गौरी गंगा नदी पर 120 मेगावाट की सिरकारी भ्योल रुपसियाबगड़ जल विद्युत परियोजना के लिए आवश्यक पर्यावरणीय स्वीकृति तथा 29.997 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के प्रस्ताव पर शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया। उन्होंने ऋषिकेश स्थित त्रिवेणी घाट से नीलकंठ महादेव मंदिर तक रोपवे विकास के प्रस्ताव को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में स्वीकृत करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह योजना क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन के विकास तथा यातायात के बढ़ते दबाव को कम करने के साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक होगी। सीएम ने चौरासी कुटिया (बीटल्स आश्रम) के पुनरुद्धार के लिए भी केंद्र सरकार से सहयोग का अनुरोध किया। राज्य में बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए कैंपा योजना के अंतर्गत वनाग्नि प्रबंधन की पंचवर्षीय योजना के तहत रुपये 404 करोड़ की विशेष सहायता का आग्रह भी किया। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को सभी प्रस्तावों पर हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

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