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उत्तराखंड

भारत-चीन सीमा पर शहीद राइफलमैन का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, सैन्य सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

शहीद शैलेन्द्र सिंह कठैत को पैतृक घाट भागीरथी नदी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान हर किसी के आंखें नम हो गईं। शैलेंद्र की पांच और एक वर्ष की दो छोटी बेटियां हैं।

प्रखंड के कुमराड़ा गांव निवासी भारतीय सेना की गढ़वाल स्काउट में राइफलमैन शैलेंद्र सिंह कठैत (27 साल) ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हादसे की खबर के बाद से ही परिवार सहित पूरा गांव में शोक में डूब गया। आज बुधवार को उनका पार्थिव शरीर सेना द्वारा पैतृक गांव लाया गया। सैन्य सम्मान के साथ शहीद शैलेन्द्र सिंह कठैत को पैतृक घाट भागीरथी नदी में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई।

राइफलमैन शैलेंद्र सिंह कठैत (27 साल) भारत चीन सीमा पर स्थित अग्रिम चौकी ग्यालढुंग में तैनात थे। पेट्रोलिंग करते वक्त अचानक उनका पैर फिसल गया और वह नीचे चट्टान पर गिर गए थे। हालांकि सेना की ओर से इस मामले में आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार घटना सोमवार की है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. आशीष गुसाईं ने बताया कि सेना के जवान का शव पोस्टमार्टम के लिए लाया गया था। मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम किया गया। जवान के सिर और पैर पर चोट के निशान मिले थे।

शैलेंद्र की पांच और एक वर्ष की दो छोटी बेटियां
बुधवार को बलिदानी राइफलमैन शैलेंद्र का शव गांव लाया गया। जहां भागीरथी नदी तट पर पैतृक घाट पर सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल शहीद शैलेन्द्र सिंह कठैत के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। बलिदानी शैलेंद्र कठैत के चाचा अतर सिंह कठैत के मुताबिक सैन्य अधिकारियों ने उन्हें बताया कि शैलेंद्र बर्फ की चपेट में आकर वीरगति को प्राप्त हुए हैं।

अतर सिंह ने बताया कि शैलेंद्र घर के इकलौता चिराग थे। उनकी दो छोटी बहने हैं। दो माह पहले ही शैलेंद्र के पिता कृपाल सिंह कठैत का निधन हुआ था, उसी दौरान वह घर आए थे। शैलेंद्र की मौत की सूचना पर उनकी पत्नी अंजू और मां ध्यान देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। शैलेंद्र की पांच और एक वर्ष की दो छोटी बेटियां हैं।

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