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उत्तराखंड

Dehradun: आद्रता में पनपा पैरासाइट बैक्टीरिया मस्तिष्क में पहुंच चेतना को कर रहा निष्क्रिय, रोज पहुंच रहे मरीज

पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक वर्षा होने के कारण अधिक लोग पैरासाइट बैक्टीरिया चपेट में आ रहे हैं। पैरासाइट बैक्टीरिया के साथ तीन अन्य रोगी कारक भी ब्रेन संबंधी बीमारी की बड़ी वजह बन रहे हैं।आद्रता में पनपने वाला पैरासाइट बैक्टीरिया हवा और एक-दूसरे के संपर्क में आने से शरीर में प्रवेश कर रहा है जो बाद में रक्त धमनियों के माध्यम से मस्तिष्क में पहुंच चेतना को निष्क्रिय कर रहा है। दून अस्पताल में इस तरह के हर रोज सात से आठ मरीज पहुंच रहे हैं।चिकित्सक इस बीमारी को ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस के रूप में पहचान रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्रों से इसके सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। बता दें कि मैदानी इलाकों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक बारिश देखने को मिलती है। इसके कारण वातावरण में उत्पन्न होने वाली आद्रता कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस उत्पन्न करती है।

बारिश के मौसम में बढ़ जाते है मामले
इसमें मुख्य रूप से पैरासाइट बैक्टीरिया शामिल है। इसके अलावा तीन अन्य तरह के वायरल, बैक्टीरिया और फंगस भी इसमें शामिल हैं। दून अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. विजय भंडारी के मुताबिक ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस के मामले वैसे तो हर सीजन में देखने को मिलते हैं लेकिन बारिश के मौसम में इस तरह के मामले बढ़ जाते हैं।यह हवा और एक-दूसरे के संपर्क में आने से पहले तो शरीर के अंदर प्रवेश करता है। बाद में यह रक्त के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। इसके शुरुआती दौर में मरीज के सिर में दर्द, उल्टी और बुखार जैसी समस्याएं आती हैं। इसके लगातार 15 से 20 दिनों तक सक्रिय रहने पर यह मस्तिष्क की चेतना धीमी हो जाती है। बाद में यह मरीज को पूरी तरह के से बेहोशी की हालत में पहुंचा देता है। यह मरीज के लिए जानलेवा भी हो सकता है। 

कान और नाक के माध्यम से भी पनपता है संक्रमण

चिकित्सक डॉ. भंडारी के मुताबिक पैरासाइट बैक्टीरिया कान और नाक के माध्यम से भी मस्तिष्क तक पहुंच सकता है जो ट्यूबरकुलर मैनिन्जाइटिस संक्रमण पैदा करता है। बैक्टीरिया पहले कान में ओटाइटिस संक्रमण पैदा करता है। लंबे समय तक कान में संक्रमण रहने से वह सीधे मस्तिष्क में प्रवेश कर जाता है।

यह है पैरासाइट बैक्टीरिया

पैरासाइट बैक्टीरिया किसी दूसरे जीवित जीव के अंदर या उस पर रहकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। बैक्टीरिया जिस जीव से भोजन प्राप्त करते हैं वे उसे काफी नुकसान पहुंचाते हैं। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो बैक्टीरिया वे परजीवी होते हैं जो अपने जीवन चक्र को पूरा करने के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं। यह मनुष्य के शरीर में पहुंच कर रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं जो कई तरह की बीमारियों के कारण बनते हैं।

बचाव के उपाय

1- मास्क का इस्तेमाल करें

2- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं

3- आद्रता वाली जगहों पर जाने से बचें

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