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उत्तराखंड

अतिवृष्टि से तबाही कुसुमगाड़ गदेरा उफनाया जलई का संपर्क टूटा पुलिया बही बस्ती को खतरा

उत्तराखंड में बुधवार को मौसम ने करवट बदली। जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिली। आज भी प्रदेश के कई इलाकों में बारिश के आसार हैं

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दो दिन से हो रही बारिश-अतिवृष्टि से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। भारी बारिश, ओलावृष्टि और बिजली गिरने से कुसुमगाड़ गदेरा उफान पर आ गया। इससे जलई गांव में एक वाहन बह गया। वहीं, अनुसूचित जाति बस्ती खतरे की जद में आ गई है। जलई गांव का आसपास के अन्य गांवों से संपर्क टूट गया है। साथ ही पेयजल लाइन को भी क्षति पहुंची हैं।

वहीं गदेरा उफान पर ओरिंग गांव को जोड़ने वाले मोटर मार्ग के दो पुल के पिलर की बुनियाद क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे पुल हवा में लटक गए हैं। यहां गांव में कई खेत मलबे की भेंट चढ़ गए हैं। इसके अलावा पूरे कालीफाट क्षेत्र के गांवों में भारी ओलावृष्टि से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। साथ ही साग-सब्जी और फलदार पेड़ों को क्षति पहुंची है। ग्रामीणों ने राजस्व पुलिस और जिला आपदा कंट्राेल रूम को घटना के बारे में जानकारी दे दी है।

बृहस्पतिवार को शाम लगभग पांच बजे ओरिंग गांव बड़पीना जंगल के ऊपरी क्षेत्र में बादलों की तेज गर्जना के साथ बिजली गिरी। कुछ ही देर में भारी मलबा व बोल्डरों के साथ कुसुमगाड़ गदेरे का जलस्तर बढ़ गया। गदेरे के उफान पर आने से जलई गांव में जितेंद्र पुत्र गोंविद की कार बह गई। यहां, गांव का मुख्य पैदल मार्ग भी जगह-जगह पानी के तेज बहाव से क्षतिग्रस्त हो गया। साथ ही जलई गांव की दोनों पेयजल लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे पेयजल सप्लाई ठप हो गई।

निवर्तमान ग्राम प्रधान कुलदीप सिंह ने बताया कि गदेरा उफान पर आने से अनुसूचित जाति बस्ती को खतरा हो गया है। यहां रातभर लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। बताया कि भारी ओलावृष्टि से फसलों को भी व्यापक क्षति पहुंची है। गेहूं, जौ, सरसों, मटर आदि की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। उन्होंने बताया कि घटना के बारे में जिला आपदा कंट्रोल रूम और राजस्व उप निरीक्षक को सूचना दे दी गई है।

दूसरी तरफ कुसुमगाड़ गदेरे के उफनाने से ओरिंग गांव को जोड़ने वाले भीरी-ओरिंग मोटर मार्ग पर स्थित दो पुल के पिलर की बुनियाद पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। यहां पुल हवा में लटक रहे हैं। साथ ही गांव के कई खेतों में मलबा घुस गया है। गांव में बिजली सप्लाई भी ठप हो गई है। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र सिंह कंडारी ने बताया कि गदेरे के तेज बहाव से पुलियाओं के पिलर की बुनियाद को क्षति पहुंची है। पेलिंग और भीरी में भी तेज बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है।

सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह बिष्ट, निवर्तमान क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक रावत, राजेश नेगी ने बताया कि कुसुमगाड़ के उफान पर आने से कई जगहों पर मलबा आया है। क्यूंजा घाटी के गांवों में भी बारिश व ओलावृष्टि हुई है। दूसरी तरफ भारी बारिश से पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिरने से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग बांसवाड़ा में एक घंटे तक बंद रहा। इधर, जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में भी हल्की से मध्यम बारिश हुई है।

केदारनाथ में तीन घंटे बरसे बादल
बृहस्पतिवार को दोपहर बाद दो बजे से शाम पांच बजे तक केदारनाथ में जमकर बारिश हुई। धाम में मौजूद सेवानिवृत्त कैप्टन सोबन सिंह बिष्ट ने बताया कि मंदिर क्षेत्र में तेज बारिश हुई है। वहीं, चोराबाड़ी सहित अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई है। उन्होंने बताया कि बीते तीन दिनों से दोपहर बाद धाम में बारिश हो रही है।

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