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उत्तराखंड

इस शहर में जंगली जानवरों के नाम पर लड़ा जाएगा चुनाव, ग्रामीणों ने बनाया यह मुद्दा; जानें कारण

हल्द्वानी-गौलापार क्षेत्र के ग्रामीण जंगली जानवरों से परेशान हैं। जंगली जानवर और लावारिस मवेशी हर साल फसलों को चौपट कर जाते हैं। इससे ग्रामीण न केवल गुस्से में हैं बल्कि उन्होंने चुनाव में इसे मुद्दा बनाने की भी ठान ली है।

अलग उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद तेजी से विकसित हुए गौलापार क्षेत्र के ग्रामीण जंगली जानवरों और निराश्रित गोवंश से खासे परेशान हैं। जंगली जानवर और लावारिस मवेशी हर साल फसलों को चौपट कर जाते हैं। बावजूद अब तक चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है। इससे ग्रामीण न केवल गुस्से में हैं बल्कि उन्होंने चुनाव में इसे मुद्दा बनाने की भी ठान ली है।

देवभूमि जनसेवा संस्था के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश बिष्ट का कहना है कि पूरे गांव में निराश्रित गोवंश का आतंक बना हुआ है। आठ से दस गोवंश एक साथ आते हैं और फसलों को नष्ट कर जाते हैं। खेत में बची खुची फसल मवेशियों के पैरों तले दबने से दोबारा नहीं पनप पाती है। बिष्ट बताते हैं कि उन्होंने स्थानीय स्तर से लेकर पीएम पोर्टल तक में शिकायत की। इसके बाद वर्ष 2020 में वन विभाग ने धारा किशनपुर से जीतपुर तक सोलर फेंसिंग की लेकिन यह भी चंद रोज बाद खराब हो गई।

सामाजिक कार्यकर्ता अर्जुन बिष्ट का कहना है कि क्षेत्र में दिन में निराश्रित गोवंश फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और रात में जंगली जानवर। वह कहते हैं कि कई बार निराश्रित गौवंश के कारण क्षेत्र में बड़े हादसे भी हो चुके हैं। बिष्ट कहते हैं कि गोशाला निर्माण के साथ साथ मोबाइल वैन भी हो, जो घायल गोवंश का मौके पर पहुंचकर इलाज कर सके।

ग्रामीण जीवन भट्ट का कहना है कि धाराकिशनपुर, गंगापुर, जीतपुर, प्रतापपुर, तारानवाड़, गजेपुर, विजयपुर ऐसे गांव हैं जो जंगल से लगे हुए हैं और इन्हीं गांवों में सबसे ज्यादा जंगली जानवरों का आतंक है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार मांग के बाद भी उनकी समस्याएं हल नहीं हुई हैं। लिहाजा वह इस चुनाव में जंगली जानवरों के आतंक और निराश्रित गोवंश से होने वाली दिक्कतों को मुद्दा बनाएंगे।

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