मां के सियासी करियर को ऊंचाई देने उतरा इंजीनियर बेटा मृणाल, BJP के जगदीश शेट्टार को देंगे चुनौती
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले मृणाल पर अपने पहले बड़े चुनाव में जीत हासिल कर मां के राजनीतिक करियर को नई ऊंचाई देने का दारोमदार है। जगदीश शेट्टार हुबली से हैं और मृणाल उनके बाहरी होने के मुद्दे को मुखरता से उठाकर प्रचार आगे बढ़ा रहे हैं।
कर्नाटक के बेलगावी से कांग्रेस ने राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर के बेटे मृणाल को भाजपा उम्मीदवार और पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के सामने उतारा है। अनुभवी शेट्टार के सामने युवा मृणाल की चुनौती के कई मायने हैं। कांग्रेस स्थानीय युवा के जरिये भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने की फिराक में है। 2000 के दशक से यहां भाजपा का वर्चस्व रहा है।
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले मृणाल पर अपने पहले बड़े चुनाव में जीत हासिल कर मां के राजनीतिक करियर को नई ऊंचाई देने का दारोमदार है। शेट्टार हुबली से हैं और मृणाल उनके बाहरी होने के मुद्दे को मुखरता से उठाकर प्रचार आगे बढ़ा रहे हैं। मृणाल के हाई वोल्टेज अभियान से उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लग चुका है। उनकी मां लक्ष्मी हेब्बालकर इस अभियान की अगुवाई कर रही हैं। लक्ष्मी दो बार विधायक हैं और हाल ही में उन्होंने भाई को एमएलसी बनने में मदद की है। जानकारों की मानें तो मृणाल की जीत लक्ष्मी को राज्य की राजनीति में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। वहीं हार उनके राजनीतिक कॅरिअर को खतरे में डाल देगी। भाजपा ने शेट्टार को इसलिए यहां से उतारा है क्योंकि अंगदी परिवार ने पिछले सभी पांच चुनावों में जीत हासिल की है और अंगदी की बेटी शेट्टार की बहू है।
आक्रामक चुनाव प्रचार में जुटे
मृणाल ने पूर्व सीएम शेट्टार के खिलाफ मोर्चा खाेलते हुए दावा किया कि उनके मुकाबले वह पूरे क्षेत्र को बेहतर जानते हैं। वह कहते हैं, इस क्षेत्र में कन्नड़ और मराठी दोनों भाषाएं बोली जाती हैं। शेट्टार बेलगावी को समझ नहीं सकते। हमें भाषाई आधार पर लोगों के साथ संतुलन भी बनाना होगा, जो शेट्टार शायद करने में सक्षम नहीं होंगे। मृणाल ने सवाल भी उठाया है कि शेट्टार ने आखिर क्षेत्र के लिए किया क्या है? मृणाल भले ही पहला बड़ा चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन युवा कांग्रेस नेता के रूप में उनके काम ने और अब भारतीय युवा कांग्रेस के कर्नाटक राज्य सचिव के रूप में उन्हें पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता दी है। वह अपने परिवार के साथ छह चुनावों का हिस्सा रह चुके हैं।
मृणाल कहते हैं कि राजनीति उन्हें स्वाभाविक रूप से मिली। राजनीतिक बहसों को देखने के उनके जुनून और मां के सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में प्रत्यक्ष भागीदारी ने उन्हें अपने कॅरिअर में बदलाव के लिए प्रेरित किया।