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उत्तराखंड

किसान रोया: मुसीबत में काश्तकार, अफसरों की लापरवाही से मेहनत पर फिरा पानी; सिस्टम पर उठे सवाल?

सितारगंज के किसान गुरसेवक सिंह ने कर्ज लेकर नौ एकड़ में धान की फसल उगाई, लेकिन मंडी में बारदाना न मिलने के कारण उनकी फसल की तौल नहीं हो पाई। अब बारिश में भीगकर उनकी पूरी फसल बर्बाद हो रही है, जिससे उनका कर्ज चुकाने और आगे की खेती का सपना टूट गया है। सितारगंज के दड़हाफार्म में रहने वाले किसान गुरसेवक सिंह। इनकी सुबह खेत से होती है और शाम खेत में ढल जाती है। यूं कहें तो इन्हें खेत की माटी से जुड़ाव है और हो भी क्याें नहीं। गुजर बसर भी तो खेत से चलता है। जमीन ही उनकी लाइफलाइन है। छह महीने पहले गुरसेवक ने कर्ज लेकर नौ एकड़ जमीन पर धान लगाया। धान को पानी ही नहीं खून-पसीने से सींचा गया। फसल लगाने से लेकर काटने तक लाखों रुपये खर्च हुए।


10 दिन पहले ट्रैक्टर ट्राॅली में धान लेकर मंडी पहुंचे। सोचा था कि धान बेचकर पहले कर्ज चुकाएंगे फिर आगे का काम और खेती होगी। मगर सिस्टम ने मायूस किया। बारदाना नहीं मिला तो धान की तौल नहीं हुई। अब नौ एकड़ में लगाई गई फसल बारिश में भीग कर बर्बाद हो रही है। उनकी आंखों में आंसू हैं। कभी वह ईश्वर को कोसते हैं तो कभी सिस्टम को। सिस्टम अगर सुनता तो आसमां से बरसी आफत कुछ नहीं बिगाड़ पाती। अब गुरसेवक जैसे कई अन्नदाता की मेहनत पानी-पानी हो गई है। मंडी में धान बारिश में भीगकर तैर रहा है। आधा धान नालियों में पहुंच गया है। अब किसानों को यही उम्मीद है कि बारिश न हो और सोया सिस्टम जाग जाए। तराई का हर काश्तकार मंगलवार को एक ही बात कहते हुए दिखे रहम करों भगवान, मुसीबत में हैं किसान…।धिक्कार है तुम पर.. एक सप्ताह तक मंडी में पड़ा रहा 250 क्विंटल धान
अब किसानों की जुबान से एक ही शब्द निकल रहा है धिक्कार है तुम पर। सितारगंज के करघटिया में रहने वाले रणधीर बल का 250 क्विंटल धान एक सप्ताह तक मंडी में पड़ा रहा। समय पर धान तौल लिया गया होता तो वह नालियों में नहीं बहता। एक सप्ताह पहले रणधीर इस उम्मीद से पहुंचे थे कि इस बार धान समय पर बेच देंगे। उससे जो पैसा आएगा पहले कर्ज दिया जाएगा। उसके बाद अपनी जरूरतें व आगे की फसल पर खर्च करेंगे। मगर क्रय केंद्र पर धान नहीं तुल सका।

माजिद के अपना घर बनाने का सपना नालियों में बह गया
किच्छा के ग्राम मलपुरा में रहने वाले माजिए ऐसा। पेशे से काश्तकार हैं और 55 हजार एकड़ जमीन ठेके पर लेकर खेती कर रहे हैं। अफसोस कि रहते आज भी झोपड़ी में हैं। इस बार पूरे खेत में धान लगाया और सपनों का घर बनाने की सोची। दो एकड़ धान काटकर मंडी में पहुंचे तो नमी की बात कहकर परिसर में फैला दिया। बारिश से उनका कई धान नालियों में बह गया। सोमवार रात को आई मूसलाधार बारिश से क्षेत्र से कई किसानों के सपने चकनाचूर हुए हैं। इनमें अधिकांश ऐसे किसान हैं जो धान बर्बाद होने से अपने ऊपर आई मुसीबत का वर्षों तक भरपाई नहीं कर पाएंगे। इन्हीं में एक हैं ग्राम मलपुरा निवासी माजिद ऐसा। जिसके पास सिर ढकने के लिये मकान तक नहीं है। माजिद ने बताया कि उनके पास खेती की जमीन नहीं है वह अपने माता-पिता के साथ गांव में झोपड़ी में रहकर खेतीबाड़ी व मजदूरी करते हैं। माजिद ने बताया कि नौकरी से गुजारा नहीं होता। गांव में जमीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं। इस बार 55 हजार एकड़ ठेके पर लेकर धान की फसल बोई। इसके लिए कर्ज तक लेना पड़ा। ब्याज पर पैसे लेकर धान की रोपाई की। दो एकड़ खेत से धान कटवाया और खुद ही दशहरे वाली रात को ट्राली से मंडी पहुंचा दिया। बताया बाजार में भाव मात्र 1700 मिल रहा था। उम्मीद लगाई थी कि सरकारी दर 2200 के आसपास है, इसलिए सरकारी केंद्र पर तुलवाया जाए। सोमवार शाम को आई बारिश उसके सभी सपनों को रौंदती चली गई। आंखों के सामने मंडी की नालियों में उसका धान बह रहा था यह देख आंखों में आंसू आ गये थे। मंगलवार को दिनभर वह अपने धान से तिरपाल हटाकर सुखाने का प्रयास करता रहा।

किसानों के खून-पसीनें से सींची फसल, अब माथे पर चिंता की लकीर
सितारगंज नई मंडी समिति के फड़ पर सूखने को रखी धान की फसल बरसात के पानी के साथ मंडी के नालियों में बह गई। इस घटना ने न सिर्फ किसान को चिंतित कर दिया, बल्कि उसके माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। फसल काटने के बाद किसान अपनी उपज को लेकर नई मंडी परिसर पहुंचे थे। लेकिन, बारदाना उपलब्ध न होने के कारण धान की तौल शुरू नहीं हो सकी थी। कई दिन इंतजार करने के बाद सोमवार को सरकारी कांटों पर धान की तौल शुरू हुई। वहीं, किसान भी अपनी फसलों को सुखाकर तौल के लिए तैयार थे। किसानों उम्मीद थी कि उन्हें उनकी फसल का सही दाम मिल जाएगा। लेकिन सोमवार शाम को हुई अचानक बरसात ने उनके सभी अरमानों पर पानी फेर दिया। हालांकि, किसानों ने अपनी फसल को बचाने के लिए त्रिपाल का सहारा लिया था। लेकिन वह ना काफी गुजरा।

इधर, आरएफसी लता मिश्रा ने मंगलवार को नई मंडी परिसर का निरीक्षण किया। वहां उन्होंने किसानों की फसलों के हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने मंडी परिसर में स्थित दो क्रय-विक्रय केंद्र को तत्काल खोलने के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने एसएमओ विनय चौधरी से किसानों की फसल को ख़रीदने करने के टोकन सिस्टम लागू करने के लिए कहा। उन्होंने किसानों से उनकी फसल को सुखा कर तौल कराने के लिए कहा है।

मंडी में उचित व्यवस्था न होने के कारण बरसात में उसका करीब 400 क्विंटल धान भीग गया। वहीं, अब फसल में नमी बढ़ने से सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। -शमशेर सिंह, किसान, नकहा
खून-पसीने से फसल की सिंचाई की थी। बरसात ने पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया। 200 क्विंटल फसल भींगने से उसकी नमी काफी बढ़ गई। वहीं, अब अधिकारी कटौती कर धन तौल की बात कह रहें हैं।
-सुखविंदर सिंह, किसान, मलपुरी

काश! चार दिन रुक जाते भगवान, तो नहीं होता नुकसान
गदरपुर क्षेत्र में लगभग तीन घंटे की मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया। सबसे ज्यादा प्रभावित किसान हुए। जिन किसानों की फसल खेत में है, वह गिर गई और जिनकी कट गई है, वह मंडी में भिंग रही है। चारों तरफ से किसानों पर आसमानी आफट टूट पड़ी है। मुकुंदपुर निवासी सुखविंदर सिंह बठला का डेढ़ एकड़, सुरजीत सिंह सिंह का दो एकड़, गदरपुरा के सज्जाद हुसैन का दो एकड़, बराखेड़ा के सुखविंदर सिंह चुघ का चार एकड़ करीब धान की फसल गिर गई। जिसे किसानों ने हजारों रुपये मजदूरों देकर धान को बंधवाया।

छह महीना पाला-पोसा, अब टूट गई हिम्मत
दिनेशपुर क्षेत्र के आनंदखेड़ा, हरिदासपुर, बसंतीपुर, चरणपुर, विजयनगर आदि गांव में किसानों के खेतों में तैयार धान की फसल खड़ी है, तो कुछ किसानों की फसल कटना शुरू हो गई है। ऐसे में खेत में बारिश का पानी भर जाने और तेज हवा के चलते कई किसानों की खड़ी फसल खेत में गिरकर जलमग्न होने से नष्ट होने की कगार पर है। किसान विजय गोलदार का कहना है कि पूर्व में गेहूं, लाई और मटर की फसल भी बारिश से काफी मात्रा में नष्ट हो गई थी। किसान प्रकाश मंडल और चंचल सिंह ने कहा कि अधिक लागत से धान की खेती की गई थी, महंगे खाद-बीज, रात-दिन लावारिस पशुओं से रखवाली और पंप सेट से सिंचाई कर फसल तैयार किया गया था। लेकिन बारिश से पैदावार नष्ट होने से काफी नुकसान हुआ है। नेता जगदीप सिंह कहना है कि सरकार नुकसान का मुआवजा देगी तो किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी। 

किसानों की मेहनत पर पानी फेरा
गूलरभोज में कटने की कगार पर खड़ी धान की फसल बारिश से खेत में ही गिर गई है। कोपा कृपाली निवासी किसान ओम प्रकाश डोगरा ने बताया कि छह महीने की मेहनत पर बरसात में पानी फेर दिया है। एक एकड़ की बुवाई में 15 से 20 हजार का खर्च आता है। फसल काटने के समय इस बारिश में फसल को खेतों में ही गिरा दिया है। जिससे खेत में पानी भर गया है और फसल गिर गई है। पानी सूखने पर ही फसल कटेगी। लेकिन तब तक फसल बहुत कमजोर हो चुकी होगी। किसान के हाथ कुछ भी नहीं लगेगा। महावीर नगर निवासी किसान सतीश रलहन ने बताया कि इस बार वे मौसमी धान न लगने से किसान वैसे ही परेशान थे। इस बारिश ने पकी खड़ी फसल भी खेतों में गिरा दी है। दो दिन तक फसल यदि यूं ही गिरी रही तो धान की बालियां अंकुरित हो जाएगी, जिसका मंडी में भी रेट नहीं मिलेगा।

खेतों में धान की फसल नहीं, बिछे किसानों के अरमान
जिले में सोमवार और मंगलवार को तेज हवा के साथ 62.4 मिमी बारिश हुई। जिसके चलते कई किसानों की धान और गन्ने की फसल खेतों में बिछ गई। कहना सही होगा कि खेतों में फसल नहीं बल्कि किसानों के अरमान बिछ गए। इससे धान में फंगस लगने सहित उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है।

किसानों ने जिले में लगभग सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की फसल लगाई है, जो अब पककर कटने को तैयार है। इस बीच बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में डिप्रेशन एरिया सहित पश्चिम में विक्षोभ के सक्रिय होने से भारी बारिश किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें ले आई है। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अजित सिंह नैन ने बताया कि धान की फसल वह पकने की ओर अग्रसर हैं। फसल गिर जाने से दाने कमजोर और उनमें फंगस लगने की आशंका बढ़ जाएगी, वहीं दाना काला पड़ने से धान की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। साथ ही इसे बीज के रूप में प्रयोग करने पर जमाव क्षमता पर भी असर पड़ेगा। इतना ही नहीं खेत में पानी टिक गया, तो पौधों में मोल्ड फार्मेशन शुरू हो जाएगा, जिससे वह सड़कर खराब हो सकते हैं। उधर शांतिपुरी क्षेत्र के किसान जवाहर नगर निवासी प्रकाश मनराल, राकेश मनराल, शांतिपुरी नंबर एक के मनोज चंदोला, दिनेश कांडपाल और शांतिपुरी नंबर दो के प्रकाश सिंह दानू सहित दर्जनों किसानों ने बताया कि उनकी सैकड़ों एकड़ धान की फसल जलमग्न होकर बर्बाद हो चुकी हैं।

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