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उत्तराखंड

आठ में से पांच डंपिंग जोन फुल, हाईवे किनारे लगे मलबे के ढेर, निस्तारण की नहीं मिल रही जगह

बदरीनाथ हाईवे पर आठ डंपिंग जोन में से पांच भर चुके हैं और हाईवे किनारे मलबे के ढेर लगे हैं। मलबा निस्तारण का काम जनवरी माह में पूरा होना है लेकिन जगह न मिलने के कारण काम भी रुक गया है।

ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत निर्मित हो रहे बदरीनाथ हाईवे पर हिल कटिंग के मलबे के लिए बनाए डंपिंग जोन फुल हो गए हैं जिससे कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल को मलबा निस्तारण के लिए जगह नहीं मिल पा रही है।

स्थिति यह है कि आठ डंपिंग जोन में से पांच भर चुके हैं और हाईवे किनारे मलबे के ढेर लगे हैं। मलबा निस्तारण का काम जनवरी माह में पूरा होना है लेकिन जगह न मिलने के कारण काम भी रुक गया है। वन विभाग की ओर से डंपिंग जोन के लिए जगह चिह्नित कर दी जानी है।

बदरीनाथ हाईवे पर करीब पांच साल से ऑलवेदर रोड परियोजना का काम चल रहा है। नगरासू से हेलंग तक करीब 85 किलोमीटर सड़क का चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण कार्य किया जाना है। अभी तक कई जगहों पर काम जारी है।

मगर जिन जगहों पर हिल कटिंग कार्य हुआ उनमें से अधिकांश जगहों पर बरसात में भूस्खलन सक्रिय हो गया और भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर हाईवे पर आ गए। कमेड़ा, नंदप्रयाग, क्षेत्रपाल, गडोरा, भनेरपाणी, पागलनाला, बेलाकूची और गुलाबकोटी क्षेत्रों में भी बरसात में भारी मात्रा में मलबा आ गया था।

इन जगहों पर एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास) की ओर से कुल आठ जगहों पर डंपिंग जोन बनाए और मलबे का निस्तारण किया गया। मगर अब स्थिति यह है कि आठ में से पांच पुरसाड़ी, छिनका, कौडिया, क्षेत्रपाल, पागलनाला में बनाए गए डंपिंग जोन फुल हो गए हैं।

ऐसे में पांचों जगहों पर मलबे का निस्तारण रुक गया है। वहीं एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक सुशील वर्मा का कहना है कि वन विभाग की ओर से डंपिंग जोन के लिए जगह चिह्नित की जा रही है। हमें आगामी दस दिनों में डंपिंग जोन मिल जाएंगे। इस पर तेजी से काम किया जा रहा है।

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