पूर्व सीएम निशंक बोले- राज्य को मॉडल स्टेट बनाना है, सरकार कोई आए उसी रास्ते पर चलना है
निशंक ने कहा कि जो औद्योगिक प्रगति इस राज्य की हुई है उसकी किसी और राज्य से तुलना भी नहीं की जा सकती है। इस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिला। मैं ऐसे में नारायण दत्त तिवारी जी को भी याद करना चाहता हूं।
उत्तराखंड के देहरादून में अमर उजाला संवाद कार्यक्रम चल रहा है। जिसमें देश की कई हस्तियों ने शिरकत की है। पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी कार्यक्रम में शामिल हुए। संवाद में चर्चा के दौरान निशंक ने कहा कि किसी भी राज्य के लिए एक रोडमैप होना चाहिए, लेकिन विभिन्न विभागों का जो रास्ता है और टारगेट है, उसे निश्चित होना चाहिए। हमारे इस राज्य की संभावना क्या है? हमारा टारगेट क्या है? हमारा उस टारगेट पर पहुंचने का रास्ता क्या है? और उसमें संसाधन क्या है? यह किसी भी राज्य के लिए जरूरी है। सरकार चाहे किसी की भी आए वह उसी रास्ते पर चलना है। राज्य को एक मॉडल स्टेट बनाना है और मुझे लगता है कि यह बंद नहीं होना चाहिए। जहां तक गीत संगीत का बात है अभी तो देश-दुनिया में मोदी का संगीत चल रहा है। बहुत दूर तक चल रहा है।
निशंक ने कहा कि संगीत में जो झंकार है भारत की है विदेश की नहीं है। डबल इंजन की सरकार ने काफी विकास किया। लोग कहते हैं पलायन हो गया, यह हो गया, वह हो गया, इस राज्य की परिस्थितियां क्या हैं, यह राज्य कैसा है, इसका रास्ता क्या है यदि किसी के हाथ में बागडोर हो तो उसका क्या टारगेट है कि क्या करना है? सबसे पहले देखना चाहिए। इस राज्य में केवल 30% कृषि भूमि है, जिसमें मकान है दुकान है। अभी मुंबई-दिल्ली-मेरठ और 10 बड़े शहरों में उत्तराखंड के लोग वहां बसे हुए है। उनको केवल इतना आह्वान हो जाए कि उत्तराखंड में आ जाएं तो उनका मकान बनाने के लिए जगह तक नहीं मिलेगी। हमारे पास चार धाम है, हमारा जो धार्मिक पर्यटन है वह काफी अच्छा है। आर्थिक को धार्मिक पर्यटन को दोनों को जोड़ नहीं सकते। पर्यटक आएं हमारे पास वह सौंदर्यता है कि आज कोई देश इसके मुकाबले नहीं हैं।
उत्तराखंड के राज्य बनने के बाद कौन सा बड़ा प्रोजेक्ट आया?
निशंक ने कहा कि जो औद्योगिक प्रगति इस राज्य की हुई है उसकी किसी और राज्य से तुलना भी नहीं की जा सकती है। इस राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिला। मैं ऐसे में नारायण दत्त तिवारी जी को भी याद करना चाहता हूं। हरिद्वार का औद्यौगिक परिसर इसका उदारहण था। नेपाल के प्रधानमंत्री ने जब हरिद्वार का सिडकुल देखा तो उन्होंने कहा था कि मैं कल्पना नहीं कर सकता कि किसी पहाड़ी राज्य में ऐसा औद्यौगिक परिसर हो सकता है।