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उत्तराखंड

जॉन अब्राहम से लेकर सीएम धामी तक, खेल-कला और विशिष्ट हस्तियों से सजा ‘संवाद’ का मंच

अमर उजाला उत्तराखंड संवाद-2024 कार्यक्रम में प्रदेश के विकास और योजनाओं पर देश की नामी हस्तियों से विस्तार से चर्चा हुई। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी, केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अमर उजाला के एमडी तन्मय माहेश्वरी और निदेशक वरुण माहेश्वरी ने अतिथियों का स्वागत किया। 

अमर उजाला के एमडी तन्मय माहेश्वरी ने कहा कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विविधता की पावन भूमि पर आज मैं गर्व की अनुभूति कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि मैंने अपने जीवन के अहम छह साल यहां बिताए हैं। पर्यटन हमारे राज्य को समृद्ध बना रहा है। हमारा राज्य कृषि और बागवानी में भी तरक्की कर रहा है। सेब, संतरा और नाशपाती जैसी चीजे अलग पहचान बना रही हैं। उत्तराखंड की संस्कृति, लोक गीत और यहां की सुरीली आवाज कोने-कोने में जा रही है। साथ ही कहा कि उत्तराखंड तो इस देश के माथे का एक तिलक है, यह वह तिलक है जो हमको सत्य और गर्व की अनुभूति कराता है। जैसे एक माथे का तेज इंसान के भीतर के तेज को दिखाता है, ऐसे ही हमारे इस प्रदेश का तेज पूरे देश को रोशन करता है।

गोविंद देवी गिरी, कोषाध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट
कार्यक्रम के पहले सत्र में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज ने ‘जीवन का मार्ग’ विषय पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने महाभारत, उत्तराखंड, देवभूमि और जीवन का मार्ग बताने वाले विचार साझा किए। इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड की पानी, पर्यावरण की समस्याओं पर चिंता जाहिर की और घुसपैठ की समस्या के प्रति नाराजगी भी जाहिर की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि ’21 दिन की महाभारत कथा में व्यस्त हूं। वैसे ऐसे मौकों पर अपना स्थान छोड़कर कहीं जाते नहीं। यहां पता चला कि संवाद का आयोजन हो रहा है तो मुझे लगा कि महाभारत से ज्यादा यह उपयोगी होगा। पहले मुझसे कहा था जाता कि आप महाभारत के इतने आग्रही क्यों है। संपूर्ण वेदों का सार इसी में आता है। महाभारत के लेखक वेदव्यास जी ने जिस प्रकार यह ग्रंथ लिखा है, मुझे अमर उजाला यह शब्द सुनते ही एक नाम और प्रसंग की याद आती है। महाभारत क्या है? ज्ञानमय प्रदीप है। अमर उजाला का अर्थ होता है- द एटर्नल लाइट। यह कहां से आती है? यह प्रकाश भारत से ही आता है।’

अजय टम्टा, केंद्रीय मंत्री
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘विकसित भारत की बात’ विषय पर चर्चा हुई। जिसमें सबसे पहले केंद्रीय राज्यमंत्री सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री अजय टम्टा से बातचीत हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य से प्रतिभाओं का पलायन चिंताजनक है और इसे रोकने के लिए कदम उठाने जरूरी हैं। साथ ही उन्होंने राजनीति और देश के विकास पर भी बात की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबसे पहले तो अमर उजाला परिवार को बधाई देता हूं कि वह लंबे समय से सूचनाओं का आदान-प्रदान करने का काम कर रहा है। साथ ही कहा कि उत्तराखंड में बहुत सी संभावनाएं हैं। यहां की भौगौलिक परिस्थितियां विशेष हैं। हम हॉर्टिकल्चर में बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। अभी हम 10-12 फीसदी ही काम कर पा रहे हैं। यहां सब्जियों के उत्पादन, जड़ी-बूटियों के उत्पादन में बहुत संभावनाएं हैं। कोरोनाकाल में देशभर के लोग यहीं उत्तराखंड में रहकर काम कर रहे थे। यहां चारधाम के साथ-साथ पर्यटन के बाकी स्थल भी हैं। अब गर्मी देशभर में पड़ रही है, देहरादून में यातायात की समस्या है। एशिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर यहीं है। डेढ़ साल पहले यह ग्लेशियर पीछे चला गया। असल में बर्फ पीछे हो जाती है। अब सड़क वहां तक भी पहुंचेगी। उत्तराखंड में त्रासदियां भी आ रही हैं, लेकिन यह सिर्फ उत्तराखंड की वजह से है या दुनियाभर में यही दिक्कत है, यह देखना होगा।

अल्ट्रा टेक सीमेंट के मार्केटिंग हेड अजय डांग और टाटा मोटर्स में चीफ मार्केटिंग अफसर शुभ्रांशु सिंह
तीसरे सत्र में ‘देश के विकास की बात’ विषय पर विचार विमर्श हुआ। कारोबार के मुद्दे पर बात करने के लिए अल्ट्रा टेक सीमेंट के मार्केटिंग हेड अजय डांग और टाटा मोटर्स में चीफ मार्केटिंग अफसर शुभ्रांशु सिंह ने ‘देश के विकास की बात’ विषय पर अपने विचार साझा किए। कॉर्पोरेट और निवेश करने वालों की बात करें तो वे उत्तराखंड के बारे में कम जानते हैं। वे धार्मिक पर्यटन के बारे में ही जानते हैं। हालांकि, उत्तराखंड से लोगों का लगाव जरूर है। वे उत्तराखंड को मेहनती लोगों के राज्य के रूप में देखते हैं। तो एक तरह से निवेश के लिए यह धारणा अनुकूल है। उत्तराखंड देश के इतिहास में प्राचीनतम है, लेकिन यह राज्य नया है। धीरे-धीरे यहां विकास होगा। एक करोड़ की आबादी यहां आबादी। सारे पर्वतीय राज्यों में सबसे अच्छा प्रदर्शन उत्तराखंड का है।

शिक्षा के क्षेत्र से इन विशेषज्ञों ने चर्चा की
संवाद के चौथे सत्र में ‘रोशन राहें’ विषय पर चर्चा हुई। संवाद में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई विशेषज्ञ शामिल हुए। इनमें अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार, राज्य के सचिव उच्च शिक्षा शैलेश बगौली और प्रो-चांसलर, ग्राफिक एरा प्रो. (डॉ.) राकेश कुमार शर्मा जैसे दिग्गज शामिल हैं। उच्च शिक्षा विभाग सचिव शैलेश बगौली ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों को रोजगार उन्मुख करने पर ध्यान दिया जा रहा है। कोविड के बाद से सत्र रेगुलर नहीं रहे सके और कई तरह की बाधाएं, समस्याएं आईं। राज्य सरकार सत्र को रेगुलर करने पर काम किया। उन्होंने बताया कि सरकार शोध और विकास पर काम कर रही है। पीएचडी के छात्रों को बढ़ावा और आर्थिक मदद के लिए सरकार उन्हें छात्रवृत्ति देने के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार ने छात्रों और अभिभावकों में उच्च शिक्षा से जुड़े मिथकों पर बात करते हुए बताया कि देश में कुल पंजीकरण की दर 28 फीसदी है। शिक्षा नीति में प्रावधान है कि इसे आने वाले समय में 50 फीसदी पर लेकर जाया जाए। शिक्षा नीति के उद्देश्यों की पूर्ति करने की दिशा सरकार कार्यरत है, इसी क्रम में सरकार ने एक नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क जारी किया है। वहीं प्रो. राजीव कुमार ने बताया कि एनईपी छात्रों को मौका देता है कि किसी भी कोर्स में 50 फीसदी कोर्स स्किल्स के हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्किल्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने देशभर की छोटी बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर टाईअप किया है। इसके साथ ही अन्य दिशाओं में काम चल रहा है।

अमोघ लीला दास, आध्यात्मिक वक्ता
इस्कॉन से जुड़े आध्यात्मिक वक्ता अमोघ लीला दास प्रभु ने ‘कामयाबी की राह’ विषय पर संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सफलता, रिश्तों और तनाव जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और उनसे निपटने के लिए टिप्स भी दिए। अमोघ लीला प्रभु ने बेहद आसान भाषा में उदाहरणों के साथ गूढ़ बातों को इतनी आसानी से समझाया कि हर व्यक्ति इन्हें समझ सकता है और अगर ठान ले तो अपने जीवन में उतार भी सकता है। उन्होंने कहा कि सफलता के सीक्रेट में कुछ शब्द छुपे हैं। इनमें सबसे पहला है- एस यानी सेल्फ। इसके मायने हैं आत्म प्रबंधन। अब इसमें आत्म क्या है? खुद को जानना जरूरी है। इससे जुड़े कुछ वेग हैं। पहला है- परउत्कर्ष वेग। यानी दूसरों को आगे बढ़ते हुए देखने पर आने वाली प्रतिक्रिया। यही ईर्ष्या और द्वेष को बढ़ाती है। जब दूसरों से हमें कम मिले तो द्वेष होता है और दूसरों को कुछ भी न मिले, यह भावना आ जाए तो वह ईर्ष्या कहलाती है।

सड़क और परिवहन में काफी तेजी से विकास हुआ- सीएम धामी

कार्यक्रम के अगले सत्र ‘विकास की बात’ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद रेल, सड़क और परिवहन में काफी तेजी से विकास हुआ है। हमारे पर्यटकों की संख्या में काफी तेजी आई है। अभी पिछले दिनों इन्वेस्टर ग्लोबल समिट का आयोजन किया था। इसमें हमको लगभग तीन लाख 54 हजार करोड़ रुपये के एएमयू साइन किए गए हैं। हम इसको लेकर काम कर रहे हैं, 77 हजार करोड़ की ग्राउंडिग शुरू हो गई है।’ सीएम धामी ने आगे कहा, जहां तक अग्निवीरों को आरक्षण देने की बात है, उस पर काम किया जा रहा है। जो अग्निवीर आएंगे, वो पूरी तरह से अनुशासित होंगे, उनके अंदर कौशल होगा, हर प्रकार से दक्ष होंगे। राज्य के अंदर बहुत सारे सेक्टरों में हम उनसे काम ले सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों हरीश रावत और रमेश पोखरियाल निशंक के बीच चर्चा
कार्यक्रम के अगले सत्र ‘हमारी शान उत्तराखंड’ में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों हरीश रावत और रमेश पोखरियाल निशंक के बीच चर्चा हुई। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, ‘हमने शुरुआत बड़े शानदार तरीके से की लेकिन, हमने कुछ बुनियादी चीजें, जो इस राज्य के निर्माण की कारक थीं, उन कारकों को हमने जल्दी भुला दिया। हमारे राज्य के अंदर पलायन सबसे बड़ी चुनौती है। बढ़ता पलायन रोकना सभी के सामने बड़ी चुनौती है। इतने बड़े सिडकुल आने के बाद भी बेरोजगारी कम नहीं हुई।’ 

वर्ल्ड कप में हार की टीस हमेशा दिल में रहेगी- मोहम्मद शमी
अमर उजाला संवाद 2024 कार्यक्रम के अगले सत्र ‘मैदान से शिखर तक’ में भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मोहम्मद शमी से चर्चा की गई। वर्ल्डकप भारतीय टीम की हार पर शमी ने कहा, ‘जिंदगी में ऐसे पल बहुत कम आते हैं। जिनती बार ये सवाल पूछा जाता है तो दिल में एक उदासी सी हो जाती है। वो जीत का सिलसिला था, किसी के मुंह से नहीं निकला था कि इस टीम को कोई हरा सकता है। शायद यही तकदीर है। इसकी टीस हमेशा दिल में रहेगी।’

पैरालंपिक खिलाड़ियों ने बताई अपने संघर्ष की कहानी
स्पोर्ट्स में शिखर पर पहुंचने की बात में भारत को पैरालंपिक खेलों में पदक दिलाने वाले देवेंद्र झाझरिया और दीपा मलिक भी शिरकत की। इसके अलावा मुरलीकांत पेटकर भी पहुंचे। अमर उजाला संवाद के ‘जोश, जज्बा और जुनून’ सत्र में ये अपने संघर्षों और पैरालंपिक खेलों में भारत को शीर्ष पर पहुंचाने की कहानी के बारे में बताया।

कार्यक्रम में शामिल हुए जॉन अब्राहम
अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में  मशहूर बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम भी शामिल हुए। इस दौरान अभिनेता ने अपनी जिंदगी और करियर के साथ-साथ सिनेमा के तमाम पहलुओं पर बात की। जॉन अपनी आगामी फिल्म ‘वेदा’ के बारे में भी बात करते नजर आए। इस फिल्म में वे अभिमन्यु की भूमिका में दिखाई देंगे। साथ ही वे फिल्म के सह-निर्माता भी हैं।

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