Home Tuition in Dehradun
उत्तराखंड

पति ने बचाई उनकी बेटी की जान, शायद तभी उन्हें भी बचाया; सफाई कर्मी की पत्नी ने बताई आपबीती

हल्द्वानी हिंसा के नगर निगम के सफाई कर्मचारी की पत्नी ने आपबीती बयां की। उन्होंने कहा कि उनके पति ने एक परिवार की बेटी की जान बचाई। इस पर उस परिवार ने मेरे पति की जान बचा ली। जिस परिवार ने बचाया, उसने ही फोन कर कहा कि इस घर में आपके पति सुरक्षित हैं, लेकिन गंभीर रूप से चोटिल हैं, आप ले जाइए।

हल्द्वानी के राजपुरा निवासी नगर निगम के सफाई कर्मचारी शुभम नैनीताल रोड स्थित कृष्णा अस्पताल के सर्जरी वार्ड में भर्ती हैं। उनके सिर, कंधे और पीठ पर चोट लगी है। हालत गंभीर है। वार्ड के बाहर उनकी पत्नी वैशाली नम आंखों के साथ बैठी मिलीं। वह भगवान से पति के ठीक होने की प्रार्थना कर रही थीं। 

बातचीत में कहा कि जब पथराव हुआ था तब मोहल्ले में एक छोटी बच्ची भी थी, जिसे पत्थर लगने से उनके पति ने बचाया था, शायद तभी उन लोगों ने मुझे मरने से बचा लिया। अपने घर में खींचकर ले गए और मेरे परिचितों को फोन कर जानकारी दी।

वैशाली ने बताया कि उनके पति शुभम की ड्यूटी सुबह 7 से दोपहर 2 बजे तक थी। घर आकर खाना खाया था कि करीब तीन बजे फिर से ड्यूटी का बुलावा आ गया। शाम को बनभूलपुरा में पथराव की जानकारी मिली। पति से न फोन से संपर्क हो पा रहा था न कोई जानकारी मिल रही थी। 

रात साढ़े आठ बजे एक परिचित नंबर से सूचना मिली, कि पति को बहुत चोट लगी है। वह बेहोश हैं, लेकिन उन्हें घर के अंदर सुरक्षित किया है। इस पर उन्होंने गांधी नगर निवासी अपने भाई को भेजा। करीब साढ़े 9 बजे भाई पति को लेकर आ गया, लेकिन उसे भी चोट लगी थी।

शुभम के चाचा ब्रह्मपाल ने बताया कि रात साढ़े 9 बजे बेस अस्पताल में दिखाने के बाद 10 बजे कृष्णा अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां करीब 3 घंटे बाद उसे होश आया।वैशाली ने बताया कि शुभम का कहना था कि पथराव बहुत हो रहा था।

एक बच्ची को बचाने के चक्कर में पत्थर सिर और कंधे पर लगने से वह घायल हो गया। बच्ची तो बच गई, लेकिन कुछ लोगों ने उसे घेर लिया और पीटने लगे जिसके बाद उसे वहीं छोड़ गए। कुछ देर बाद कुछ लोग उन्हें अपने घर में ले गए। तब जान बच सकी।

दीया जलाते समय मिली बेटे के घायल होने की सूचना
कृष्णा अस्पताल में भर्ती नगर निगम कर्मचारी चंदन के जबड़े में पत्थर लगने और लोगों के पीटने के कारण गंभीर चोट लगी है। अस्पताल में बार-बार बेटे को देख रही चंदन की मां शांति ने बताया कि शाम को करीब साढ़े 7 बजे दीया जला रही थी, तभी उनकी बहन रजनी दरवाजा पीटने लगी।

पूजा छोड़कर जैसे ही दरवाजा खोला तो वह बोली कि चंदन को बहुत चोट लगी है, अस्पताल ले गए हैं। यह सुनकर बहन के साथ पैदल ही अस्पताल पहुंची। अस्पताल में खून से लथपथ बेटे को देखा तो सुधबुध खो बैठीं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button