हार्ट अटैक आने पर तुरंत अपनाएं यह उपाय, बच सकती है मरीज की जान
इन दिनों ह्रदय घात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।कम उम्र में लोगों में हृदयाघात का खतरा बढ़ना गंभीर समस्या बनती जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में 40 साल से कम आयु के लोगों की मौत हार्ट अटैक आने से हो चुकी है। अधिकतर मामलों में जिम और फिटनेस में सक्रिय लोगों को हार्ट अटैक आया है। विशेषज्ञ हार्ट अटैक की समस्या से बचाव से लेकर विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। ऐसा नहीं कि हृदयाघात आने पर तुरंत व्यक्ति की मौत हो जाती है। सही समय पर इलाज न मिल पाने के कारण रोगी जानलेवा स्थिति में पहुंच जाता है। इसलिए हृदयाघात से बचाव के उपाय जानने के साथ ही हार्ट अटैक आने पर तुरंत किए जाने वाले उपचार के बारे में पता होना चाहिए, ताकि समय रहते रोगी को बचाया जा सके।
इसका एक नमूना मध्य प्रदेश के ग्वालियर में देखने को मिला, जब सड़क पर चलते एक व्यक्ति को अचानक हार्ट अटैक आ गया। ह्रदय घात होने पर व्यक्ति सड़क पर गिर पड़ा, तभी एक महिला सब इंस्पेक्टर ने तुरंत मौके पर पहुंचकर व्यक्ति की जान बचा ली। महिला सब इंस्पेक्टर ने रोगी को तत्काल सीपीआर दिया। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसे उचित इलाज मिला। वहीं एक मामला मैक्सिको का है, जहां एंड्रेस मोरेनो नाम के एक व्यक्ति का है, जिनका वजन बहुत अधिक था। ओवरवेट होने के कारण उनकी पत्नी ने एंड्रेस को छोड़ दिया था। बड़े हुए वजन और मानसिक तनाव की वजह से एंड्रेस मोरेनो को दिल का दौरा पड़ा और मौत हो गई।
सीपीआर हार्ट अटैक के बाद रोगी की जान बचाने के लिए एक कारगर उपाय है। कई मामलों में पाया गया कि हार्ट अटैक के बाद सीपीआर देकर रोगी की जान बचाई जा सकती है।
क्या है सीपीआर?
सीपीआर का मतलब कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थिति में कारगर है। जब रोगी को दिल का दौरा पड़ता है या पानी में डूबने के बाद सांस नहीं आती है, तो इस तरह की स्थिति में सीपीआर दिया जाता है। सीपीआर के जरिए रोगी के शरीर में रक्त और ऑक्सीजन का संचार किया जा सकता है।
कैसे देते हैं सीपीआर?
हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि सही तकनीक से सीपीआर देने पर रोगी की जान बचाई जा सकती है। हार्ट अटैक के बाद प्रारंभिक स्तर पर इलाज का यह आवश्यक उपाय है। इससे हार्ट अटैक के कारण होने वाली मौत के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि सीपीआर देने की एक विशेष तकनीक है। दिल का दौरा पड़ने पर 100-120/ मिनट की दर से छाती को दबाया जाता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए दोनों हाथों को इस प्रकार से जोड़ें कि हथेली का निचला हिस्सा छाती पर आए। फिर हथेली को छाती के केंद्र के निचले आधे हिस्से पर रखकर दबाएं। छाती को 5 सेमी तक संकुचित करें। ध्यान रखें कि बहुत तेजी से दबाव नहीं डालना है।