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उत्तराखंड

चर्चित मोती हत्याकांड; दोनों आरोपी दोषमुक्त…पुलिस की ये फर्जी कहानी ही मुकदमे को ले डूबी

देहरादून के चर्चित मोती हत्याकांड में पुलिस की फर्जी कहानी ही मुकदमे को ले डूबी।  पुलिस ने सिर पर ईंट मारने से मौत का दावा किया था। लेकिन मृतक के गले और जांघ पर गहरे घाव थे। सिर पर चोट नहीं लगी थी।अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने बुधवार को विकासनगर के चर्चित मोती हत्याकांड के आरोपी नदीम और अहसान को दोषमुक्त करार दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के सिर पर चोट नहीं लगी थी। केवल गले और जांघ के पास गहरे चीरे के निशान मिले थे। दोनों आरोपी करीब छह वर्ष आठ माह से जेल में बंद थे।पूरे मामले में पुलिस जांच और न्यायालय में दाखिल आरोपपत्र पर सवाल उठ रहे हैं।18 जनवरी 2019 को त्यूणी के झिटाड़ निवासी तारा सिंह ने पुलिस को बताया था कि विकासनगर क्षेत्र के जीवनगढ़ में पिछले एक वर्ष से उनका मकान बन रहा है। 16 जनवरी 2019 को इसी काम से वे और उनका बेटा मोती सिंह त्यूणी से कार से विकासनगर के लिए निकले थे। शाम को पांच बजे विकासनगर पहुंच गए थे। उनका बेटा और साथ में आया संजय चौहान बाल कटवाने के लिए बाजार गए थे, लेकिन उनका बेटा वापस नहीं आया। उन्होंने अगले दिन संजय से पूछा तो उसने बताया कि मोती और वह बाल कटाने जा रहे थे।बाबर डेंटर से दो युवक उनकी कार में बैठे थे। दोनों अपना नाम नदीम और अहसान बता रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मोती दोनों युवकों को पहले से जानता था। इन लोगों ने उसे विकासनगर में बाजार में छोड़ दिया। कार नदीम चला रहा था। तीनों कार से कहीं चले गए। इसके बाद तारा सिंह ने नदीम और अहसान पर बेटे के अपहरण का आरोप लगाया था।

कोतवाली पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया था। 20 मार्च 2019 को मोती का शव आसन बैराज के गेट नंबर एक पर फंसा मिला था। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता नरेश बहुगुणा ने 15 गवाह पेश किए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता हिमांशु पुंडीर ने न्यायालय के समक्ष दलीलें पेश कीं। साक्ष्यों के अभाव और आरोप साबित न कर पाने पर न्यायालय ने दोनों आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया।

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