बदलती विश्व व्यवस्था के बीच अंतरिम बजट, स्वागत योग्य हैं पूर्वी भारत की विकास घोषणाएं
अंतरिम बजट में पूंजीगत व्यय पर ध्यान देते हुए राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के प्रयास किए गए हैं और पूर्वी भारत के विकास पर फोकस किए जाने की घोषणा की गई है, जो स्वागत योग्य है।
अगर हम अंतरिम बजट को विकास के एक विचार के तौर पर देखें, तो इसका फोकस चार क्षेत्रों पर है : बुनियादी ढांचे का विकास, नवाचार, समावेशन और कौशल। इन चार क्षेत्रों के अलावा, इस बजट में नवीकरणीय ऊर्जा, ब्लू इकनॉमी, जलवायु संबंधी परियोजनाओं का वित्तीयन और निवेश के बारे में भी उल्लेख है। बजट में पूर्वी भारत के विकास पर फोकस किए जाने की घोषणा की गई है, जो स्वागतयोग्य है। बजट में प्रत्यक्ष कर से जुड़ी प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
इसके अलावा, इसमें व्यक्तिगत आयकर से संबंधित बकाया कर संबंधी विवादों के समाधान पर भी फोकस किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें छोटे कर-दाताओं की बकाया मांगों का समाधान दिया गया है, जो 1962 से लंबित थीं। इनकी वजह से ईमानदार कर-दाताओं को परेशानी होती है और बाद के वर्षों के रिफंड में भी बाधा पहुंचती है। इसके उचित समाधान के लिए अंतरिम बजट में वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25 हजार रुपये तक और वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2014-15 के लिए दस हजार रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर संबंधी मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव किया गया है। इस कदम से करीब एक करोड़ करदाताओं को फायदा पहुंचने की उम्मीद है और कर व्यवस्था पर करदाताओं का भरोसा भी ज्यादा बढ़ेगा।
पूंजीगत व्यय पर ध्यान देते हुए पूरा फोकस राजकोषीय सुदृढ़ीकरण पर बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूंजीगत व्यय वृद्धि दर 11.1 फीसदी है, जो उसी वर्ष के लिए अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर 10.5 फीसदी से ज्यादा है। पूंजीगत व्यय में वृद्धि की एक प्रमुख वजह राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण का प्रावधान करना है। चूंकि केंद्र सरकार का राजस्व घाटा काफी बढ़ रहा है, ऐसे में, केंद्र की राजकोषीय स्थिरता पर इस तरह के ब्याज मुक्त ऋण के दीर्घकालीन प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का 5.8 फीसदी है। वर्ष 2024-25 का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 फीसदी होने का अनुमान है। राजकोषीय घाटे में यह सुधार 2023-24 (संशोधित अनुमान) और 2024-25 (बजटीय अनुमान) के बीच राजस्व घाटे में जीडीपी के 2.8 से दो फीसदी की कमी होने के कारण है। उच्च राजस्व संग्रह और राजस्व घाटे के ज्यादा सुदृढ़ीकरण से राजस्व घाटे में सुधार मिलने की उम्मीद है।
वित्तमंत्री के अनुसार, कोविड महामारी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रकृति बदल रही है और एक नई वैश्विक व्यवस्था का विकास हो रहा है, जिसमें वैश्वीकरण की अवधारणा और आपूर्ति शृंखला को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले देशों को समान अनुपात में लाभ नहीं मिल सकता है। इससे उन जटिलताओं की ओर इशारा भी मिलता है, जिनसे भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में निपटना होगा, क्योंकि वैश्विक आर्थिक गतिविधि में भारत का महत्व बढ़ रहा है।
खंडित वैश्वीकरण के कारण बढ़ती वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता से भारत को खुद को बचाना होगा और इसके लाभों को ग्रहण करने के लिए उसे रणनीतिक तौर पर चलना होगा। यह भारत को प्रतिभाओं और कौशलों जैसी सॉफ्ट पावर का उचित उपयोग करने और अपनी वैश्विक स्थिति के रणनीतिक इस्तेमाल का अवसर भी देता है, ताकि वह वैश्वीकरण के लाभों में से अपना हिस्सा सुनिश्चित कर सके।