मणिपुर में IRB शिविर से हथियार लूटने की होगी मजिस्ट्रेट जांच, 30 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश
गृह विभाग ने रविवार को एक आदेश जारी कर कहा कि 13 फरवरी को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। भीड़ ने तेजपुर के चिंगारेल स्थित पांचवें आईआरबी के शिविर पर धावा बोल हथियार एवं गोला-बारूद छीन लिया था।
इंफाल ईस्ट जिले के चिंगारेल में इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के शिविर से 13 फरवरी को हथियार लूटने के मामले में मणिपुर सरकार सख्त हुई। उसने जिम्मेदार लोगों और परिस्थितियों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है।
13 फरवरी की घटना
गृह विभाग ने रविवार को एक आदेश जारी किया और कहा कि 13 फरवरी को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। इसमें भीड़ ने तेजपुर के चिंगारेल स्थित पांचवें आईआरबी के शिविर पर धावा बोल दिया और हथियार एवं गोला-बारूद छीन लिया। इसके अलावा, भीड़ और सुरक्षा बलों के बीच टकराव भी हुआ।
फिर से न हो ऐसी घटना
आदेश के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट इंफाल ईस्ट खुमानथेम डायना को घटना के लिए जिम्मेदार तथ्यों का पता लगाने और भविष्य में इस तरह घटनाएं फिर से न हों इससे बचने के लिए उपाय बताने के लिए जांच प्राधिकरण के रूप में नियुक्त किया है। वहीं, जिला मजिस्ट्रेट को अपनी जांच रिपोर्ट आदेश जारी होने के 30 दिनों के अंदर सरकार को सौंपनी है।
यह है मामला
गौरतलब है, मणिपुर पुलिस ने हथियार लूटने के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं, आईआरबी के सात कर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया है। पुलिस फिलहाल आईआरबी के शिविर से लूटी गई चार इंसास राइफल, एक एके घटक, एसएलआर की दो मैगजीन और 9एमएम गोला बारुद के 16 छोटे बक्से बरामद कर चुकी है।
एक और मामले में चल रही जांच
एक अन्य मामले में भी सरकार ने सख्ती की है। मणिपुर सरकार ने चुराचांदपुर जिले में भीड़ द्वारा हाल ही में हुई हिंसा के सिलसिले में एक पुलिसकर्मी के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में भी मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। दरअसल, एक हेड कांस्टेबल को निलंबित किए जाने के कुछ घंटों बाद 15 फरवरी को उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक के सरकारी परिसर में भीड़ ने घुसकर वाहनों को आग लगा दी थी। वहीं संपत्ति में तोड़फोड़ भी की थी। इस दौरान, सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई थी और 30 लोग घायल हो गए थे।
हेड कांस्टेबल सियामलपॉल को कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया था। सरकार के आदेश में कहा गया है कि मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर सौंपे।