एक-एक के सिक्के से साधु बन रहे लखपति… कपाट बंद होने पर अपनी कुटिया में हैं लौट जाते
बदरीनाथ धाम में हर साल कपाट खुलने पर साधु-संत पहुंचते हैं। यहां उन्हें खूब दान मिलता है। और कपाट बंद होने पर साधु-संत मैदानी क्षेत्रों में अपनी कुटिया में लौट जाते हैं।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलते ही यहां साधु-संतों का जमावड़ा भी लग जाता है। ये साधु बदरीनाथ धाम की सीढि़यों से लेकर विजयलक्ष्मी चौक तक आस्था पथ पर बैठे रहते हैं, जिन्हें श्रद्धालुओं की ओर से दान में सिक्के से लेकर रुपये तक दिए जाते हैं। जब धाम के कपाट बंद होते हैं तो साधु-संत दान में मिली रकम लेकर मैदानी क्षेत्रों में अपनी कुटिया में लौट जाते हैं। मगर साधु पूरे यात्रा सीजन में एक-एक के सिक्के से रकम जोड़कर लाखों रुपये की कमाई कर लेते हैं।
बदरीनाथ धाम में विष्णु भगवान तपस्या की मुद्रा में विराजमान हैं जिससे यहां दान और ध्यान का बड़ा महत्व है। श्रद्धालु बदरीनाथ धाम के दर्शनों के पश्चात यहां ध्यान करते हैं और साधुओं को कपड़े और पैसे दान में देते हैं। इसके साथ ही कई धनाढ्य लोग भी उन्हें रुपये दान में देते हैं।