वार्डों का भूगोल ही नहीं राजनीति के समीकरण भी बदलेंगे, परिसीमन पर लोगों ने लगाई हैं आपत्तियां
नगर निगम वार्डों के परिसीमन को लेकर आई आपत्तियों की शनिवार को अंतिम सुनवाई की गई।
देहरादून नगर निगम के नए परिसीमन से वार्डों का भूगोल ही नहीं राजनीति समीकरण भी बदल जाएंगे। यही वजह है कि राजनीतिक लोगों ने कई आपत्तियां लगाईं हैं। अधिकांश लोगों का कहना है कि नया परिसीमन जल्दबाजी में तैयार किया गया है। इस पर एक बार फिर विचार होना चाहिए।
नगर निगम वार्डों के परिसीमन को लेकर आई आपत्तियों की शनिवार को अंतिम सुनवाई की गई। कैंट विधायक सविता कपूर, राजपुर विधायक खजानदास, पूर्व विधायक राजकुमार सहित निवर्तमान पार्षद एवं अन्य क्षेत्रीय लोगों ने परिसीमन को लेकर आपत्ति रखीं। विधायक खजानदास ने कहा कि 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है। प्रशासनिक टीम के पास आबादी की गणना का कोई विकल्प नहीं है। इससे वार्डों का परिसीमन ठीक तरह हो पाना संभव नहीं है।
विधायक सविता कपूर ने कहा, हालांकि उनके क्षेत्र के वार्डों पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है। लेकिन परिसीमन एक लंबी प्रक्रिया है। इसे त्रुटिपूर्ण व सटीक तथ्यों के आधार पर किया जाए तो बेहतर होगा। नए परिसीमन से कई वार्डों का विधानसभा क्षेत्र भी बदलने की संभावना है। हर्रावाला, शिमला बाईपास, रिस्पना, सहस्रधारा रोड, चकराता रोड, चंद्रबनी व मोहब्बेवाला क्षेत्र की विधानसभाएं आपस में सटी हैं। नए परिसीमन से कुछ मोहल्ले एक विधानसभा से दूसरे विधानसभा क्षेत्र में जा सकते हैं। वहीं परिसीमन की रिपोर्ट तैयार होने के बाद अब कई वार्डों में आरक्षण की स्थिति भी बदल सकती है।
देहराखास के लोगों का विरोध
देहराखास के लोग पहले ही आपत्ति कर चुके हैं कि परिसीमन के दौरान एक बड़ा क्षेत्र उनके वार्ड में जोड़ा गया है। वार्ड-84 से कन्हैया विहार, शांति विहार, विजिलेंस ऑफिस, बड़ी मस्जिद क्षेत्र को जोड़ा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि ऐसा हुआ तो इस वार्ड की जनसंख्या 13 हजार हो जाएगी। इससे विकास की गति धीमी होगी। इसे लेकर पथरी बाग के पास विरोध भी किया जा चुका है।
कुछ गलियां वार्ड 79, कुछ 90 में दिखाईंI
भारूवाला वार्ड में सुभाषनगर की कुछ गलियां मोहब्बेवाला में दर्शाई गई हैं, लेकिन नगर निगम ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उसमें ये गलियां नहीं हैं। सुभाष नगर एक आवासीय कॉलोनी है, जिसकी कुछ गलियां वार्ड-79 में तो कुछ वार्ड 90 में दिखाई गई हैं। इसे ठीक करने की मांग की गई है।