नारंगी श्रेणी के उद्योगों को नहीं लेनी होगी केंद्र से अनुमति, दून घाटी की ड्राफ्ट अधिसूचना जारी
जो उद्योग ऑरेंज से रेड श्रेणी में आ गए हैं, उनकी पर्यावरणीय स्वीकृति भी राज्य सरकार के स्तर पर दी जा सकेगी। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकार भी बढ़ सकते हैं। इससे पूर्व वर्ष 1989 की दून वैली अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें वर्ष 2007 और वर्ष 2020 में आंशिक संशोधन किए गए थे।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से दून वैली की ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की गई है। इसके अनुसार आने वाले समय में दून घाटी में ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के उद्योग लगाने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इसके अलावा जो उद्योग ऑरेंज से रेड श्रेणी में आ गए हैं, उनकी पर्यावरणीय स्वीकृति भी राज्य सरकार के स्तर पर दी जा सकेगी। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकार भी बढ़ सकते हैं। इससे पूर्व वर्ष 1989 की दून वैली अधिसूचना जारी की गई थी, जिसमें वर्ष 2007 और वर्ष 2020 में आंशिक संशोधन किए गए थे।
वर्ष 1989 में स्थापित दून वैली अधिसूचना में उद्योगों को उनके प्रदूषण स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया गया था और भूमि-उपयोग परिवर्तन, चराई और लाल श्रेणी के उद्योगों की स्थापना पर रोक लगा दी गई थी। अब इसमें संभावित संशोधनों पर लोगों की राय मांगी गई है। अगले 60 दिनों के भीतर कोई भी व्यक्ति लिखित रूप में आपत्तियां एवं सुझाव मंत्रालय को दे सकता है।
पीसीबी की ओर से किया जाएगा तंत्र स्थापित
ड्राफ्ट अधिसूचना के अनुसार, दून घाटी में लगने वाले नारंगी श्रेणी के उद्योगों के लिए पहले राज्य स्तरीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण की ओर अनुमति दी जाती थी, अब राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्तर से यह अनुमति दी जा सकेगी। इसके अलावा नारंगी श्रेणी के ऐसे उद्योग, जो अब लाल श्रेणी में हैं, इसी में बने रहेंगे। यदि वह विस्तार करना चाहते हैं, तो उन्हें भी पीसीबी से अनुमति लेनी होगी।
पीसीबी की ओर से इसके लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधनों में विभागों के इनपुट के साथ राज्य सरकार की ओर से पर्यटन, चरागाह, विकास की कोई भी महत्वपूर्ण योजना तैयार करना शामिल है। इसके अलावा पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) के दायरे में नहीं आने वाली नारंगी श्रेणी की औद्योगिक परियोजनाओं पर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उचित कार्रवाई के बाद विचार किया जाएगा।