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उत्तराखंड

किसानों की आय बढ़ाएगी मोरपंखी, नर्सरी तैयार कर शोध कार्य किया गया शुरू, जानें क्या हैं खूबियां

अब मोरपंखी उत्तराखंड में किसानों की आय बढ़ाएगी। इसके लिए नर्सरी तैयार कर शोध कार्य शुरू किया गया है।मोरपंखी पौधे की पहचान आम लोग के लिए एक सजावटी पौधे के रूप में है। इसको घरों के आंगन या कार्यालय परिसर में आमतौर पर देखा जाता है। आने वाले समय में मोरपंखी किसानों की आमदनी भी बढ़ाएगी। सगंध पौध केंद्र सेलाकुई पिछले सात-आठ साल से मोरपंखी की व्यावसायिक खेती पर शोध कर रहा है। इसमें अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।मोरपंखी पौधे का वनस्पतिक नाम थूजा कॉम्पैक्टा है। सदाबहार पिरामिडनुमा मोरपंखी के पौधे की पत्तियों में कई औषधीय तत्व पाए जाते हैं। आसवन के बाद पत्तियों से तैयार तेल काफी सुगंधित होता है। इसके साथ ही तेल में थुजोन, सबिनिन, फेनचोन तत्व की मात्रा अधिक पाई जाती है, जिससे तेल का इस्तेमाल परफ्यूम, एरोमा थैरेपी व कॉस्मेटिक उत्पादों को बनाने में किया जाता है।  एरोमा क्षेत्र में मोरपंखी के तेल की मांग को देखते हुए सगंध पौध केंद्र सेलाकुई ने अलग-अलग प्रजाति के मोरपंखी के पौधों की नर्सरी तैयार कर शोध कार्य शुरू किया। इसमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन, पत्तियों से प्राप्त होने वाले तेल की मात्रा और सुगंध का परीक्षण किया जा रहा है। लंबे समय से चल रहे शोध के बाद संस्थान को अच्छे परिणाम मिले हैं। आने वाले समय में बंजर भूमि पर मोरपंखी की व्यावसायिक खेती की संभावना बढ़ी है।




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