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उत्तराखंड

राज्य में पहली बार होगी झरनों की संगणना, विभाग ने शुरू की तैयारी

झरनों की संगणना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक झरनों की स्थिति और उनके पुनर्जीवन के प्रयासों पर केंद्रित होगी। झरनों की लोकेशन और उसमें प्रवाह की जानकारी देनी होगी। 

लघु सिंचाई की सातवीं संगणना में पहली बार झरनों की संगणना भी की जाएगी। इसकी तैयारी विभाग ने शुरू कर दी है। जीएमएस रोड स्थित एक होटल में राज्यस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें संगणना के बारे में विशेषज्ञों ने विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद जिलास्तर फिर ब्लाॅकस्तर पर प्रशिक्षण कार्यशाला लगेगी।

विशेषज्ञों ने बताया कि सातवीं संगणना में पहली बार मोबाइल फोन एप का इस्तेमाल किया जाएगा। झरनों की संगणना उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक झरनों की स्थिति और उनके पुनर्जीवन के प्रयासों पर केंद्रित होगी। झरनों की लोकेशन और उसमें प्रवाह की जानकारी देनी होगी। अगर झरना सूख गया है तो उसका भी विवरण दर्ज करना होगा।

यह संगणना राज्य की अद्यतन लघु सिंचाई योजनाओं की जानकारी देगी, जिससे कृषि क्षेत्र की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी। इस संगणन में बड़ी और मध्यम श्रेणी की सिंचाई परियोजनाओं का मूल्यांकन भी करेगी। इससे पूर्व लघु सिंचाई विभाग के सचिव आर राजेश कुमार ने कहा कि संगणनाओं से प्राप्त आंकड़े जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में नई दिशा देंगे। कार्यशाला में मुख्य अभियंता बृजेश तिवारी, संयुक्त सचिव पीसी शर्मा, उप सचिव पीसी नौटियाल, वैज्ञानिक दीपक सिंह आदि मौजूद रहे।

छठवीं लघु सिंचाई के आंकड़े जारी

देहरादून में हुई कार्यशाला में छठवीं लघु सिंचाई संगणना के आंकड़े जारी किए गए। इसमें बताया गया हैं कि राज्य में 90,464 लघु सिंचाई योजनाएं संचालित हैं। इनके माध्यम से 4,47,853 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई गई।
 


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