जीएमवीएन के बंगलों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी,
पर्यटन विभाग ने जीएमवीएन से 27 बंगलों का ब्योरा मांगा है। पर्यटन विभाग पहले चरण में पांच बंगलों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर चलाने की तैयारी कर रहा है।
विश्व पर्यटन दिवस से ठीक पहले गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) से जुड़े कर्मियों के लिए बुरी खबर है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) जीएमवीएन के बंगलों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है।
इसके लिए पर्यटन विभाग ने जीएमवीएन से 27 बंगलों का ब्योरा मांगा है। पर्यटन विभाग पहले चरण में पांच बंगलों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर चलाने की तैयारी कर रहा है। यूटीडीबी के संयुक्त निदेशक योगेंद्र कुमार गंगवार की ओर से जीएमवीएन के महाप्रबंधक को जारी पत्र में 27 बंगलों का ब्योरा मांगा गया है।
जीएमवीएन को इन सभी 27 बंगलों का परिसंपत्तियों का भू-स्वामित्व, अभिलेखों में दर्ज भूमि का क्षेत्रफल, भवन निर्माण का वर्ष, भवन का निर्मित क्षेत्रफल, कमरों की संख्या और परिसंपत्ति के लिए मुख्य मार्ग की चौड़ाई बतानी होगी, जबकि इससे पहले पर्यटन विभाग की ओर से रुद्रप्रयाग और श्रीनगर के पर्यटन आवास गृह की टोपोग्राफी सर्वे और वैल्यूएशन किया जा चुका है। इसके लिए जीआईएस एक्सपर्ट अक्षय जायसवाल के नेतृत्व में टीम को भेेजा गया था।
पीपीपी मोड के विरोध में हैं कर्मचारी
जीएमवीएन के कर्मचारी पीपीपी मोड के विरोध में हैं। कर्मचारी-संयुक्त कर्मचारी महासंघ पर्यटन मंत्री समेत कई विधायक को पत्र लिख चुका है। महासंघ अध्यक्ष राजेश रमोला ने कहा, जीएमवीएन से गढ़वाल के हजारों कर्मचारी जुड़े हैं। ऐसे में अगर जीएमवीएन को निजी हाथों में दिया जाएगा तो एक बार में ही हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। महासंघ ने कहा, मांगों पर जल्द सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो वह उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
इन बंगलों का मांगा गया ब्योरा
पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन आवास गृह लैंसडौन, टिप एंड टॉप लैंसडौन, आसान बैराज, डाकपत्थर, होटल द्रोण देहरादून, गंगा रिजोर्ट ऋषिकेश, ऋषिलोक ऋषिकेश, भरत भूमि ऋषिकेश, कोडियाला, कर्णप्रयाग, राही होटल, पिरान कलियर, चीला, बड़कोट, पुरोला, रैथल, नई टिहरी, पौड़ी, बदरीनाथ यात्री निवास, घागरिया, औली, केदारनाथ, र्खिशू, श्रीकाेट, जखोली, गुप्तकाशी और सोनप्रयाग के बंगलों का ब्योरा मांगा गया है।
जीएमवीएन के सभी बंगले पर्यटन विभाग के हैं। हमारे पास सिर्फ इन्हें संचालित करने का जिम्मा है। पर्यटन विभाग की ओर से मांगी गई सूचना जल्द उपलब्ध करा दी जाएगी। विभाग ने कितने बंगलों का ब्योरा मांगा है, इसकी जानकारी नहीं है।