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उत्तराखंड

खोजबीन व रेस्क्यू अभियान जारी, अध्ययन को विशेषज्ञों की टीम पहुंची, धरासू में तैनात रहेगा चिनूक

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, आर्मी ने बुधवार को भी खोजबीन, रेस्क्यू अभियान चलाया। कई जगह मैन्युअली खोदाई भी की गई।धराली में खोजबीन, रेस्क्यू अभियान बुधवार को भी जारी रहा। मौसम साफ होने के बाद 11 बजे से हेलिकाप्टर उड़ान भर सके। धराली में संचार सेवा बुधवार को भी दिनभर ठप रही। इसके अलावा अब दो चिनूक और एक एमआई हेलिकाप्टर धरासू व चिन्यालीसौड़ में तैनात करने का फैसला लिया गया है। साथ ही एक एएलएच हेलिकाप्टर भी पहुंच गया है। वहीं, शासन ने आपदा के कारणों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की जो टीमें बनाई थीं, वह भी पहुंच गई हैं।एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, आर्मी ने बुधवार को भी खोजबीन, रेस्क्यू अभियान चलाया। कई जगह मैन्युअली खोदाई भी की गई। आईटीबीपी की टीम ने धराली में क्षतिग्रस्त एक घर से दो खच्चरों के शव बरामद किए। अभियान में हेलिकॉप्टर के माध्यम से अलग-अलग क्षेत्रों में 48 लोगों और राशन को पहुंचाया गया। खीरगंगा में जल स्तर बढ़ने पर खोज व बचाव दलों के लिए बनाई गई संपर्क पुलिया बह गई थी, इसे तैयार कर लिया गया।संचार सेवा को भी शाम को बहाल कर लिया गया। धराली गांव के बचे हुए हिस्से में वाई-फाई एक्सेस प्वाइंट तक पीटी रेडियो का उपयोग कर इंटरनेट का विस्तार किया गया है। इसके अलावा जिला चिकित्सालय उत्तरकाशी छह, एम्स ऋषिकेश और एमएच देहरादून में दो-दो, आईटीबीपी कंपोजिट हास्पिटल में (11) घायल भर्ती हैं।25 जवानों को हर्षिल हैलीपेड की सुरक्षा और संचालन के लिए तैनात किया गया है। बढ़ते जल स्तर की पूर्व चेतावनी के लिए हर्षिल एसवीएल केंद्र में दो पीटीजेड कैमरे लगाए गए हैं, जिससे निगरानी का काम हो सकेगा। निचले सैन्य शिविर में खोज एवं बचाव के लिए छह श्वान दल तैनात किए हैं। आर्मी ने निचले कैंप हर्षिल में क्षेत्र में खोज-बचाव अभियान भी चलाया है।हर्षिल में भागीरथी में बनी झील के पानी की निकासी को बढ़ाने की कोशिश में सिंचाई समेत अन्य विभागों की टीम जुटी रहीं। विभागों की टीम ने इसके निरीक्षण के बाद झील की गहराई 10 से 15 फीट बताई है। सिंचाई विभाग के विभागाध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि झील से पानी की निकासी हो रही है, उसका मुहाना चौड़ा कर उसकी निकासी को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। मैन्युअली जो संभव है, वह प्रयास किए जा रहे हैं।धराली में आपदा से प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने और इस घटना के कारणों को जानने के लिए शासन की ओर से गठित विशेषज्ञों की टीम बुधवार को धराली पहुंच गई। टीम ने प्रभावित क्षेत्र में आपदा से हुए नुकसान, उसकी प्रवृत्ति और कारणों की पड़ताल की। पांच सदस्यीय विशेषज्ञों की यह टीम पूरे आपदाग्रस्त क्षेत्र का सर्वे करने के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। विशेषज्ञों की इस टीम में उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक शांतनु सरकार, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ.डीपी कानूनगो, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के निदेशक रवि नेगी, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ.अमित कुमार, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के प्रधान सलाहकार मोहित कुमार शामिल हैं। बुधवार को विशेषज्ञों ने धराली में पसरे मलबे के नमूनों को भी परखा। खीरगाड के प्रवाह क्षेत्र और मलबे के प्रसार का भी जायजा लिया। स्थानीय लोगों से घटना के बारे में जानकारी प्राप्त की। आज बृहस्पतिवार को भी विशेषज्ञों की टीम धराली में अलग-अलग स्थानों पर जाकर बीते पांच अगस्त को खीर गंगा में आई तबाही के कारणों को तलाशने का काम करेेंगी।

उच्च स्तरीय समिति ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का किया निरीक्षण
आपदा प्रभावित क्षेत्र का शासन की गठित उच्च स्तरीय समिति ने भी व्यापक निरीक्षण किया। समिति अध्यक्ष एसएन पांडे के साथ समिति सदस्यों ने पुनर्वास एवं आजीविका सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यक पहलुओं का मूल्यांकन किया। समिति ने प्रभावित परिवारों, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। प्रभावित ग्रामीणों ने जांगला, लंका और कोपांग के विस्थापन की मांग की। उन्होंने केदारनाथ पुनर्निमाण की तर्ज पर धराली पुनर्निर्माण करने की मांग भी रखी। समिति ने कहा कि प्रभावित क्षेत्र में तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार कार्याें को प्राथमिकता क साथ पूरा किया जाएगा। डीएम प्रशांत आर्य ने कहा कि आपदा में क्षतिग्रस्त फसलों और सेबों के वृक्ष का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। समिति सदस्य व डॉ.आशीष चौहान व हिमांशु खुराना ने कहा कि विस्थापन के लिए प्रभावित परिवारों को उपयुक्त विकल्प दिया जाएगा।





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