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उत्तराखंड

भीमताल में तीन महिलाओं को मारने वाले आदमखोर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, रूह कंपा देगी हकीकत

नैनीताल के पास भीमताल में वन्यजीवों के हमले में महिलाओं की मौत हुई थी। इन महिलाओं को मारने वाली बाघिन है। इसको लेकर ब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट में सामने आई है। 

भीमताल क्षेत्र में वन्यजीवों के हमले में तीन महिलाओं की मौत हुई थी। इनके लिए बाघिन ही जिम्मेदार थी। सूत्रों के अनुसार यह बात वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट में सामने आई है। हालांकि इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि तीनों मामलों में एक ही बाघिन है या फिर यह वही बाघिन है जो बीते दिनों भीमताल क्षेत्र से रेस्क्यू की गई थी। 

भीमताल क्षेत्र में वन्यजीव के हमले के बाद जांच शुरू की गई तो उसमें तेंदुए की जगह बाघ होने के संकेत मिले थे। मौके से स्केट और बाल टाइगर होने का संकेत कर रहे थे। घटनास्थल के पास मिले वन्यजीव के बाल आदि को एकत्र कर डीएनए जांच के लिए सैंपल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को भेजे गए। इसके दो सैंपल से साफ हो गया था कि इसमें तेंदुआ नहीं बाघ शामिल है। 19 दिसंबर को ग्राम पंचायत अलचौना के तोक ताड़ा में तीसरी घटना के बाद सैंपल जांच को भेजे गए। अब इसकी जांच रिपोर्ट से कई चीजें स्पष्ट हुई हैं। सूत्रों के अनुसार इन तीनों घटना में साफ हो गया है यह घटनाएं बाघिन ने की हैं। 

जांच रिपोर्ट से स्थिति होगी साफ: वन विभाग की टीम ने बीते मंगलवार की रात बाघिन को जंगलियागांव के पास रेस्क्यू किया था। इसके ब्लड, स्केट (मल) और बाल डीएनए जांच के लिए भेजे हैं। अब इसकी सैंपल रिपोर्ट को तीनों घटनाओं में शामिल बाघिन के सैंपल से मिलाया जाएगा। इसके बाद यह साबित होगा कि घटना में यही बाघिन शामिल थी या कोई और बाघिन है। इसके अलावा तीनों घटना में एक ही बाघिन शामिल है या अलग-अलग है, यह भी सवाल बना हुआ है। 

निगेटिव रिपोर्ट आई तो राजाजी जा सकती है रानी
पकड़ी गई बाघिन की सैंपल रिपोर्ट पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं प्रसन्न पात्रो कहते हैं कि जांच रिपोर्ट आनी है। बताया जा रहा है कि पकड़ी गई बाघिन को रेस्क्यू वाहन में ही रखा गया है। 

रानीबाग में बाड़ा भी नहीं है। इसके पीछे अधिकारियों का तर्क है कि अगर बाघिन को कहीं और भेजना होगा तो उसे पुन: ट्रैक्यूलाइज करना होगा जो रिस्की भी होता है। सैंपल आदि लेने में संबंधित वाहन में रखे गए पिंजरे से मदद मिलती है।

सूत्रों के अनुसार अगर बाघिन की रिपोर्ट निगेटिव आई तो उसे राजाजी नेशनल पार्क में छोड़ने के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। अभी बाघिन की उम्र महज डेढ़ साल है। इसके अलावा राजाजी में बाघ-बाघिन की संख्या कार्बेट पार्क आदि जगह की तुलना में कम है। वहां पर पहले भी बाघों को भेजा भी जा चुका है। प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) समीर सिन्हा कहते हैं कि जो रिपोर्ट आई है, उसे कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया गया है।

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