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खेल-कूद

सिफ्त अपने ही कीर्तिमान पर हैरान; स्वर्ण जीतने का था अंदाजा

सिफ्त अमर उजाला से कहती हैं कि एशियाड का स्वर्ण तो उनके लिए खुशी है ही, लेकिन विश्व कीर्तिमान का पता लगना उनके लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। इसने स्वर्ण की खुशी को दोगुना कर दिया है।

शूटिंग के लिए इसी वर्ष एमबीबीएस को छोड़ने वाली फरीदकोट (पंजाब) की सिफ्त कौर समरा एशियाई खेलों के कंपटीशन से पहले की रात साथी आशी चौकसी से कह रही थीं कि वे दोनों स्वर्ण और रजत पदक जीत सकती हैं। सिफ्त ने बुधवार को स्वर्ण जीत लिया, लेकिन फाइनल में विश्व कीर्तिमान बनाने का उन्हें अंदाज भी नहीं था। सिफ्त अमर उजाला से कहती हैं कि एशियाड का स्वर्ण तो उनके लिए खुशी है ही, लेकिन विश्व कीर्तिमान का पता लगना उनके लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। इसने स्वर्ण की खुशी को दोगुना कर दिया है।

माता-पिता को समर्पित किए पदक
नीट के जरिए 2021 में फरीदकोट के मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाली सिफ्त के पिता पवनदीप ने उनसे कहा था कि उन्हें अब डॉक्टरी और एमबीबीएस में से एक को चुनना पड़ेगा। एमबीबीएस के लिए 80 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी थी, जो सिफ्त पूरी नहीं कर पा रही थीं। उन्होंने पिता से पूछा क्या करना चाहिए। पिता ने कहा, उन्हें एमबीबीएस छोड़ शूटिंग अपनानी चाहिए। सिफ्त ने वैसा ही किया और इस वर्ष जीएनडीयू, अमृतसर में बीपीई में दाखिला ले लिया। सिफ्त बताती हैं कि उनकी शूटिंग में उनके पिता का बेहद योगदान है। उनसे ज्यादा उनके पिता उनकी शूटिंग का ध्यान रखते हैं। यही कारण है कि वह व्यक्तिगत स्वर्ण और टीम रजत अपने माता-पिता को समर्पित करती हैं।

सिर्फ क्वालिफिकेशन के लिए शुरू किया था 50 मीटर
सिफ्त ने 2016 में अपने पिता के दोस्त के बेटे करन सेखों को देखकर शूटिंग शुरू की। करन स्कीट शूटर थे, लेकिन सिफ्त जब रेंज गईं तो उन्होंने सबसे पहले वहां राइफल पकड़ी। उन्हें यह अच्छी लगी तो उन्होंने इसे ही अपना लिया। शुरुआत में वह छोटे भाई के साथ राइफल शूटिंग करती थीं। भाई का राष्ट्रीय स्कूल खेलों में उनसे पहले पदक आ गया। सिफ्त बताती हैं कि 2019 में उन्होंने और भाई ने 50 मीटर में हाथ आजमाने का फैसला लिया। इसके पीछे मंशा सिर्फ इतनी थी कि 50 मीटर के लिए राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई करना है। उन्होंने यहां क्वालिफाई कर लिया। तब से यह उनकी प्रमुख इवेंट बन गई और 10 मीटर पीछे छूट गया।

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